बहराइच 21वीं सदी में जीते हुए भले ही आज हम चांद पर जाने की बात कर रहे हो लेकिन ग्रामीण इलाकों में अंधविश्वास आज भी हावी है यही वजह है कि ग्रामीण तबके के लोग डॉक्टरों में कम झाड़-फूंक में ज्यादा विश्वास रखते हैं झाड़-फूंक और तंत्र-मंत्र को लेकर जनपद बहराइच में एक ऐसा वाकया प्रकाश में आया है जिसे सुनकर आपके भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे बहराइच के ग्रामीण इलाके में घटी इस घटना को सुनने के बाद शायद आप के कानों पर यकीन नहीं होगा लेकिन बिल्कुल यह सत्य घटना है भारत नेपाल सीमा से सटे ग्रामीण इलाके में दो बच्चों को हुई गंभीर बीमारी के बाद उसके परिजनों ने डॉक्टरों को न दिखाते हुए झाड़-फूंक का सहारा लिया और दोनों बच्चों की उंगलियों को खोलते तेल में डाल दिया ताकि बच्चों की बीमारी ठीक हो सके लेकिन ऐसा करने के बाद बच्चे तो ठीक नहीं हुए बल्कि और ज्यादा सीरियस हो गए मात्र 28 दिन पूर्व जन्म लिए नवजात बच्चों उंगलियां जलाने के बाद मासूम बच्चों की हालत और बिगड़ गई जिन्हें मेडिकल कॉलेज के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती करवाया गया है जहां पर दोनों बच्चों की हालत अत्यंत गंभीर बनी हुई है उंगलियों के जलने से दोनों बच्चे काफी परेशान हैं और कराह रहे हैं बच्चों की माओं का कहना है कि खौलते तेल में उंगली डालने से बच्चे की बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है इसको लेकर ऐसा किया गया है बच्चों की माओं की बातों को सुनकर ऐसा प्रतीत होता है कि शायद उन इलाकों में आज भी झाड़-फूंक और तंत्र मंत्र का दबदबा है और चिकित्सकीय प्रणाली बिल्कुल ही फेल है यही वजह है कि बीमार हुए बच्चों को इलाज करवाने के बजाय झाड़-फूंक करवाया गया और झाड़-फूंक के दौरान बच्चों के उंगलियों को खौलते तेल में जलाया गया हालांकि इस मामले में मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ डीके सिंह का कहना है कि यह अंधविश्वास के तहत ऐसा किया गया है जो कि गलत है फिलहाल बच्चे पीआईसीयू में रखे गए हैं जिनका इलाज किया जा रहा है हालांकि बच्चों की हालत अत्यधिक गंभीर बताई जा रही हैं
बाइट - डॉ डीके सिंह (मुख्य चिकित्सा अधीक्षक)
बाइट - गुड्डी (नवजात बच्चे की मां )
बाइट - मुन्नी (नवजात बच्चे की मां )
आस्था या अंधविश्वास ( खौलते तेल में नवजात की जलाई उंगली)