जनपद न्यायाधीश श्रीमती नीरजा सिंह के निर्देशन मुख्यालय स्तर पर ए0डी0आर0 भवन दीवानी न्यायालय में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी द्वारा विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर लोगो को जागरूक बनाने के लिए साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया एवं संविधान की शपथ एवं संगोष्ठियों का आयोजन किया गया।
शिविर में सचिव नन्द कुमार, नोडल अधिकारी समरसता दिवस विपिन कुमार सिंह, पैनल अधिवक्ता कुरैशा खातून, मध्यस्थ ओम प्रकाश सिंह, कमलेश कुमार तिवारी, संगीत पाठक, अमरेन्द्र पाठक, संतोष कुमार शर्मा, शिव सिंह, अरविन्द कुमार, सुनील कुमार, एराज आलम, प्रदीप तिवारी, सतेन्द्र कुमार, कु0 रंजना, दौलता कुमारी, सर्वेश कुमार, नीशू, जेल विजिटर अधिवक्तागण, पैनल अधिवक्तागण, कार्यालय से लवकुश कनौजिया, सौरभ शुक्ला, गंगाराम वर्मा, मोहित वर्मा, मोहित कुमार, प्रदीप कुमार, शिवराम, आशीष कुमार के अतिरिक्त अन्य जनसामान्य के लोग उपस्थित रहे।
सचिव नन्द कुमार द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर कथन किया कि विश्व मानवाधिकार दिवस सम्पूर्ण विश्व में प्रत्येक वर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है। आज के समय में सभी व्यक्तियों के अधिकारों के लिए सर्वाधिक कार्यरत कोई है जो वह न्याय विभाग है। प्रत्येक व्यक्ति के प्रत्येक अधिकार की रक्षा करना एवं उनके अधिकारों को संरक्षित करने का कार्य न्याय विभाग बखूबी कर रहा है। संविधान में वर्णित सभी अधिकारों को प्रदान कराने में भारतीय न्यायिक प्रणाली सदैव प्रयासरत रहती है और समय समय पर कानूनी रूप से इन अधिकारों का हनन करने वालों को दण्डित भी करती है। भारतीय संविधान के प्रावधानों को न्यायिक प्रणाली समाज में पूर्णरूपेण प्रसारित एवं क्रियान्वित करती है। आज के समय में समाज के प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकारों के बारें में बताने की आवश्यकता कम और उसके अधिकारों को उस तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अधिक है। अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की उत्पत्ति, विकास एवं भारत में इसकी शुरूवात कैसे हुए और कब हुई बताते हुए अन्तर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की महत्ता से सभी को परिचित कराया। इस कार्यक्रम को प्रचारित व प्रसारित करने में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी के नामिका अधिवक्ता, तहसील स्तर पर कार्यरत अधिवक्तागण आदि भी समय समय पर जागरूकता फैलाते है। विभिन्न सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन भी करता है और प्रत्येक व्यक्ति को उनके अधिकारों के बारे में सजग करता है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी कानूनी अधिकारों के साथ साथ लोगों को इस तरह के कार्यक्रमों के माध्यम से भी जागरूक करती है।
पैनल अधिवक्ता कुरैशा खातून द्वारा बताया गया कि संयुक्त राष्ट्र महा सभा ने 1948 में सार्वभौमिक मानवाधिकार घोषणा पत्र स्वीकार किया था तब से 10 दिसम्बर को प्रत्येक वर्ष मानवाधिकार दिवस के रूप में सम्पूर्ण विश्व में मनाया जाता है। भारत में 28 सितम्बर 1993 से मानवाधिकार कानून अमल में आया। 12 अक्टूबर 1993 में सरकार ने राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया। मानवाधिकार किसी भी इंसान की जिंदगी, आजादी, बराबरी और सम्मान का अधिकार है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बाराबंकी द्वारा समय समय पर संगोष्ठी, सेमिनार, जागरूकता शिविर आदि के माध्यम से समाज में लोगों को उनके अधिकारों के विषय में जागरूक करता रहता है।
समरसता दिवस के नोडल अधिकारी विपिन कुमार सिंह द्वारा कथन किया गया कि यदि सभी लोगों को अपने अधिकारों के साथ साथ अपने कर्तव्यों को भी निभाना आना चाहिए और यदि लोग अधिकार से पहले कर्तव्यों के विषय में जान ले ओर कर्तव्य निभाने लगें तो निश्चय ही अधिकारों के लिए लड़ने की आश्यकता ही नहीं बचेगी। अतं में संगोष्ठी में उपस्थित सभी लोगों को संविधान की शपथ दिलाते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया।
इस अवसर पर अन्य उपस्थित व्यक्तियों द्वारा भी अपने विचार व्यक्त किये गये। विधिक साक्षरता कार्यक्रम में दिये गये विचारों से स्थानीय लोग लाभान्वित हुए और उनके द्वारा पुनः ऐसे कार्यक्रमों को आयोजित करने की अपेक्षा की गई।
विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर लोगो को जागरूक बनाने के लिए साक्षरता शिविर का आयोजन किया गया