हर महीने 12-14 दिन यूपी में रहेंगी प्रियंका गांधी, विधानसभा चुनाव 2022 पर हैं नजरें

 



कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अब हर सप्ताह लखनऊ आने के साथ ही महीने में 12 से 14 दिन प्रदेश में रहेंगी। इनमें से अधिकांश दिन लखनऊ में ही कैंप करेंगी। उनका मुख्य फोकस उत्पीड़न से जुड़े मामलों पर रहेगा। सोमवार को दिल्ली रवाना होने से पहले वे प्रदेश नेतृत्व को इसके स्पष्ट संकेत भी दे गईं। उन्होंने कहा कि हर स्तर की वर्किंग कमेटी में वही नेता रहेंगे, जो जनता के बीच जूझकर काम करने का माद्दा रखते हों
प्रियंका शुक्रवार शाम राजधानी में गोखले मार्ग स्थित अपने आवास पर पहुंची थीं। चार दिन की लखनऊ यात्रा के बीच वे रविवार को कुछ घंटों के लिए पार्टी नेता के निधन पर शोक व्यक्त करने रायबरेली जरूर गईं, पर शाम को लौट आईं। प्रियंका ने अपने आवास और पीसीसी मुख्यालय से सारी गतिविधियां संचालित करके यह संदेश दिया कि अब यूपी पर ही पूरा फोकस करेंगी।
देश के किसी भी हिस्से में हुई घटनाओं या राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के घटनाक्रम पर अपनी बात रखेंगी, पर उनका मुख्य रणक्षेत्र यूपी ही रहेगा। उन्होंने अमेठी के बेहद साधारण कार्यकर्ता अनोखे लाल का मंच से नाम लेकर यह संदेश देने का प्रयास भी किया कि कांग्रेस में जमीनी कार्यकर्ताओं को ही तरजीह दी जाएगी।
इसके पीछे की वजह वर्ष-2022 का विधानसभा चुनाव है। वर्तमान में विधानसभा सीटों के लिहाज से कांग्रेस की स्थिति सिंगल डिजिट की है। वर्ष 2017 के चुनाव में कांग्रेस की अब तक हुए चुनावों में सबसे खराब स्थिति रही। प्रियंका अच्छी तरह जानती हैं कि प्रदेश में संगठन खड़ा करने में सफल हुईं तो देश में एक सफल नेता के रूप में स्थापित होंगी। वहीं, असफल होने पर उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा। इसलिए प्रियंका वर्ष-2022 के चुनाव में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहतीं।


पूरी कोशिश है कि भाजपा को न मिले ध्रुवीकरण का मौका



प्रियंका की खास रणनीति है कि उनके किसी कदम से भाजपा को धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण का मौका न मिले। यही वजह है कि वे बिजनौर में सीएए-एनआरसी मुद्दे पर प्रदर्शन के दौरान मारे गए दो मुस्लिम युवकों के परिवारीजनों और घायल हुए एक हिंदू युवक के परिवारीजनों से मिलने गईं। लेकिन, प्रेस कॉन्फ्रेंस हिंदू युवक (पिछड़ा वर्ग) के घर पर ही की, ताकि भाजपा को किसी और दिशा में प्रियंका के प्रयास को मोड़ने में सफलता न मिले।
इसी तरह से लखनऊ में भी वे दारापुरी (अनुसूचित जाति) की बीमार पत्नी से ही मिलने गईं। बाकी पीड़ित परिवारों से मिलने उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भेजा। एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भाजपा के रणनीतिकार भी प्रियंका को मीडिया में चर्चा मिलने को अपनी रणनीति की सफलता मान रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के मजबूत होने से सपा-बसपा का वोट बंटेगा, जिसका सीधा फायदा भाजपा को ही मिलेगा।




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