बज्में गौसुलवरा की निगरानी में जश्ने गौसुलवारा का आयोजन किया गया
बाराबंकी के अन्तर्गत शहर के मोहल्ला कटरा स्थित फजलुर्रहमान पार्क में   बज्में गौसुलवरा की निगरानी में जश्ने गौसुलवारा का आयोजन किया गया जिसकी सरपरस्ती मुफ्ती कलीम  नूरी   और सदारत सैयद मोहम्मद इकराम रिजवी ने की। कारी रियाजुद्दीन नूरी के संचालन में और कारी मोहम्मद फरीद के द्वारा तिलावते कुरान ए पाक से जलशे का आगाज किया गया। इसके बाद मदरसा अंसार उल उलूम और मदरसा गरीब नवाज के छात्रों के अलावा जनपद फैजाबाद से आए हिंदुस्तान के मशहूर शायर अहमदुल फत्तार, हाफिज इमरान,कारी मोइनुद्दीन ने नात पाक व मन कबत गोसे पाक पेश की। मुफ्ती कलीम नूरी ने गौसे पाक की सीरत के साथ-साथ मुल्क के मौजूदा हालात के मद्देनजर में मुसलमानों को अपने दीन इस्लाम पर सख्ती से पाबंद रहने और तालीम हासिल करने पर जोर दिया।

    इस जलसे को जनपद बस्ती से आए हुए हज़रत मौलाना मोहम्मद अली निजामी साहब ने खिताब करते हुए हज़रत गौसे आजम की फजीलत और करामत का जिक्र करते हुए कहा कि आप मोहिउद्दीन के लकप से जाने जाते हैं आप बचपन से ही वर्ली थे बचपन में रमजान के महीने के अदब व एहतराम में दिन भर मां का दूध नहीं पीते थे आपने सबसे पहले जाहिरी इल्म हासिल करने के लिए अपने कस्बे से बगदाद का सफर किया राह में मुसीबत पर भी झूठ नहीं बोला यह मां की नसीहत थी। बचपन में जब आपका दिल खेलकूद की तरफ जाता तो गायब से एक आवाज आती अब्दुल कादिर आप खेलकूद के लिए नहीं भेजे गए हैं आप जब मदरसे में पढ़ने के लिए जाते तो गेब से एक निदा आती कि मेरे दोस्त के लिए जगह खाली कर दो गौसे आजम फरमाते हैं कि मेरा यह कदम तमाम औलिया अल्लाह की गरदनों पर है।हमें अल्लाह वालों से मोहब्बत करने और उनकी बताई हुई बातों पर अमल करना चाहिए ।आपने अपने नफ़्स से लड़ाई 15 वर्षों तक लड़ते रहे रातो रात एक पैर पर खड़े होकर कुरान करीम की तिलावत करते। दिन दिन में ना खाते ना पीते और कहते कि मैं तेरे कहने से नहीं खाऊंगा बल्कि जब मुझे अल्लाह ताला खिलाएगा तो खाऊंगा। आप की तकरीर वह नसीहत से लोग अपने बुरे कामों से तौबा करके राहे रास्ता पर लग जाते थे।गौसे आजम ने कठिन से कठिन वक्त मैं सच्चाई का दामन ना छोड़ा और ना छोड़ने का हुक्म दिया ।और पूरा भरोसा अपने अल्लाह पर किया और उसी से मदद तलब की शैतान की पनाह चाहते रहे। मौलाना की तकरीर के बाद दूसरे मौलाना हजरत जाहिद निजामी साहब ने कहा कि गरीब नवाज फाउंडेशन की जानिब से 17 किताबें आई हैं जिनको जलसे में मौजूद हाजरात को बजमे गौसुल वारा की अराकीन कमेटी के हाथों भेंट की जाएगी। यह किताबें गौसे आजम की सीरत और करामाते ताजुशरिया के नामों से है ।आखिर में जलसे का समापन सलातो अस्सलाम वह मौलाना साहब की दुआ पर हुआ। जलसे में आए सैकड़ों लोगों का बज़्म की तरफ से शुक्रिया अदा किया गया और शिरीनी भी तक्सीम की गई।

    इस अवसर पर बज़्म की अरकीन कमेटी के पदाधकारी हाजी मुशब्बीर अहमद,कारी रफीक, मोहम्मद शमी,हसमत अली गुड्डू ,उसामा अंसारी, रईस अंसारी, नसीम खान, हाफिज कमालुद्दीन, मोहम्मद फैजान, मोहम्मद निजामुद्दीन, नसीर स्माइली, अबू बकर, चांद ,हाजी नसीब, तौफीक, मोहम्मद फैसल,इंतखाब आलम,अलाउद्दीन अंसारी, जियाउद्दीन अंसारी,आदि सैकड़ों लोगों की शिरकत रही।

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