थैंक्यू अंकल! आपने मम्मी की नौकरी बचा ली, ग्यारह साल बाद बीएड करने वाली एक शिक्षिका को मिली डिग्री
मेरठ में कामचोरी और लापरवाही सरकारी विभाग में कर्मचारियों से लेकर अधिकारियों तक की आदत बन चुकी है। जरूरतमंद ऑफिसों के चक्कर काटते-काटते थक जाते हैं, लेकिन कोई उनकी सुध तक नहीं लेता। 11 साल पहले बीएड करने वाली एक शिक्षिका के साथ भी सीसीएसयू में ऐसा ही हो रहा था।
अपनी डिग्री लेने और नौकरी बचाने के लिए वह कई साल से विवि के चक्कर काट रही थीं, हर बार मायूस होकर लौट जाती थीं। लेकिन सोमवार को ये शिक्षिका अपने पति और दो बच्चियों के साथ जब विवि से निकलीं तो उनका चेहरा खिल रहा था। उन्हें डिग्री मिल गई थीं। मम्मी को खुश देखकर चार साल की मासूम खिल उठी... रजिस्ट्रार से बोली- थैंक्यू अंकल।
सहारनपुर निवासी संगीता रानी ने कानपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित कराई गई बीएड प्रवेश परीक्षा में भाग लिया था। काउंसिलिंग के जरिए उनका एडमिशन सहारनपुर के दीपांशु वुमन कॉलेज में हो गया। सत्र 2007-08 में उन्होंने बीएड की परीक्षा पास कर ली। संगीता की मार्कशीट आई तो उसमें माता-पिता का नाम नहीं था। विवि में मार्कशीट ठीक करा ली गई, लेकिन डिग्री नहीं बनी। 2014 में प्राइमरी स्कूल में उनकी नौकरी लग गई।



बेसिक शिक्षा विभाग ने कागजातों का विश्वविद्यालय में वेरीफिकेशन कराया तो जवाब मिला कि छात्रा का कोई रिकॉर्ड विवि के पास नहीं है। बीएसए ने संगीता की तनख्वाह रोक दी। संगीता ने 20 से ज्यादा आरटीआई लगाईं, तमाम दलीलें दी, लेकिन विवि में कोई सुनवाई नहीं हुई। इस बीच 12 रजिस्ट्रार बदल गए। बेसिक शिक्षा विभाग ने संगीता की बर्खास्तगी तक के आदेश जारी कर दिए।


संगीता ने रजिस्ट्रार धीरेंद्र कुमार वर्मा को अपनी समस्या बताई। रजिस्ट्रार ने कर्मचारी से सख्ती से जानकारी मांगी तो संगीता का पूरा रिकॉर्ड मिल गया। डाटा मिलते ही संगीता की मार्कशीट बनवा दी गई। सोमवार को संगीता अपने पति और दो छोटी बच्चियों के साथ डिग्री लेने विवि पहुंचीं। रजिस्ट्रार ने बेसिक शिक्षा विभाग के कागजों का भी वेरीफिकेशन करा दिया। डिग्री पाकर संगीता की आंखों नम हो गईं। उन्होंने रजिस्ट्रार को धन्यवाद कहा।





छह मामलों का कराया निपटारा
संगीता के अलावा दो अन्य शिक्षिकाएं भी इसी कॉलेज की थीं। इनमें एक नीरू चौधरी और दूसरी रुचि हैं। ये दोनों भी शिक्षिका हैं। इनकी भी नौकरी पर बन आई थी। इनकी भी डिग्री बनवा दी गई है। ये शाहजहांपुर में तैनात हैं। इसके अलावा दो अन्य छात्र और भी थे।अपना कार्य जिम्मेदारी से करें
ये ऐसा काम नहीं था कि जो हो नहीं सकता था। ठीक है, रिकॉर्ड नहीं मिल रहा था लेकिन दूसरी जगहों से इसे निकलवाया जा सकता था। कुलपति के निर्देश हैं कि किसी भी छात्र-छात्रा को परेशानी नहीं होनी चाहिए। हमने अपना काम जिम्मेदारी से किया तो सारा डाटा मिल गया। - धीरेंद्र कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ