तेजसः आईआरसीटीसी की सोशल मीडिया पर जमकर खिंचाई, रेलमंत्री व सीआरबी से मिलेगा निकाला गया स्टाफ
देश की पहली कॉर्पोरेट ट्रेन तेजस से 18 आउटसोर्सिंग स्टॉफ को बिना नोटिस निकाले जाने को लेकर गुरुवार को आईआरसीटीसी की सोशल मीडिया पर जमकर खिंचाई हुई। मामला सोशल मीडिया से लेकर आईआरसीटीसी मुख्यालय तक सुर्खियों में रहा, लेकिन निकाले गए स्टाफ को कोई राहत नहीं दी गई


इससे आहत स्टाफ ने अब रेलमंत्री पीयूष गोयल, चेयरमैन रेलवे बोर्ड वीके यादव व श्रम आयुक्त से मिलकर दर्द साझा करने की बात कही है। उधर, आईआरसीटीसी ने इसे निजी फर्म का मामला बता अपना पल्ला झाड़ लिया है।
अमर उजाला ने 28 नवंबर के अंक में 'तेजस : बिना नोटिस केबिन क्रू, अटेंडेंट को निकाला' शीर्षक से खबर प्रकाशित कर स्टाफ पर ज्यादती का खुलासा किया। इसमें स्टाफ ने बताया था कि 18-18 घंटे ड्यूटी करने, देरी से वेतन मिलने और यात्रियों के छेड़छाड़ करने की शिकायत करने पर उन्हें बिना नोटिस नौकरी से निकाल दिया गया।


40 से अधिक के स्टाफ में 18 की अचानक छुट्टी कर दी गई। थी। खबर प्रकाशित होने के बाद आईआरसीटीसी की किरकिरी हुई तो उसने इसे निजी फर्म का मामला बता किनारा कर लिया। पीड़ित स्टाफ में शामिल अवंतिका ने कहा कि बेशक अप्वाइंटमेंट वृंदावन फूड की ओर से किया गया है, लेकिन जब ट्रेन आईआरसीटीसी की है तो वह अपनी जिम्मेदारी से क्यों बच रही है। श्रम कानूनों का उल्लंघन भी हो रहा है। हम लेबर कमिश्नर से मिलकर अपने हक की आवाज उठाएंगे।
अमर उजाला में प्रकाशित 'तेजस : बिना नोटिस केबिन क्रू, अटेंडेंट को निकाला' खबर को सपा ने रीट्वीट किया और लिखा कि निजीकरण कर भाजपा ने सुगम रेल यात्रा का जो तेज दिखाया था, वह कर्मचारियों के शोषण का मॉडल बनकर रह गया है। तेजस की महिला अटेंडेंट्स व केबिन क्रू को बिना नोटिस निकाला जाना अत्याचार है।