तीन माह बाद शहीदों के शव मिले तो ट्रिगर पर थी उंगलियां’
लखनऊ में सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को देश के उन वीर शहीदों का स्मरण व नमन किया जो 18 नवंबर 1962 को चीनी आक्रमण में शहीद हुए थे। उन्होंने कहा कि रेजांगला नाम से सैन्य इतिहास में दर्ज 114 वीर सैनिकों की शहादत विशिष्ट शौर्य के लिए सदा याद की जाएगी। युद्ध के 3 महीने बाद जब शहीद सैनिकों के पार्थिव शरीर मिले तब कई मृत सैनिकों की अंगुलियां ट्रिगर पर थी।

इन सैनिकों ने 1300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतारा। वे अंतिम सांस तक लड़ते-लड़ते शहीद हुए। उनकी वीरता से लद्दाख चीनी कब्जे में जाने से बच गया। उनकी शहादत को सलाम। अखिलेश ने कहा कि दक्षिण लद्दाख के रेजांगला में ठंड, अंधेरा और बर्फबारी के बीच चीनी हमलावरों का वहां तैनात 13वीं कुमायूं रेजीमेंट ने जबर्दस्त विरोध किया।
एक-एक भारतीय जवान ने 10-10 चीनी सैनिकों का मुकाबला किया। कुमायूं रेजीमेंट की अहीर कंपनी के 120 जवानों ने गोला बारूद खत्म होने पर चाकू-छूरे और पत्थर से भी लड़ाई लड़ी। इसमें 114 सैनिक शहीद हुए थे। 54 वर्ष पहलेअदम्य साहस की रेजांगला गाथा में भारतीय सैनिकों के शौर्य की चीनियों ने भी प्रशंसा की थी। शौर्य दिवस पर उन्होंने मानद कैप्टन रामसिंह यादव को भी याद किया।