बरेली। बॉलीवुड स्टार सलमान खान ट्राईजेमिनल न्यूरैल्जिया नाम की अपनी जिस बीमारी का इलाज कराने अमेरिका जाते हैं, रुहेलखंड मेडिकल कॉलेज के एनेस्थीसिया विभाग छह डॉक्टरों की टीम ने उसी बीमारी का मिप्सी तकनीक से इलाज करने में विशेषज्ञता हासिल की है। सुसाइडल डिसीज के नाम से मशहूर ट्राईजेमिनल न्यूरैल्जिया के मरीज को चेहरे की दांयी ओर नस में करंट जैसे झटकों के साथ इस कदर असहनीय दर्द होता है कि वह बोल पाने की स्थिति में तक नहीं रह जाता। डॉक्टरों का दावा है कि मिप्सी तकनीक से सिर्फ एक घंटे का इलाज मरीज को दर्द से 70 फीसदी निजात दिला देता है।
डॉक्टरों की इस टीम ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ट्राईजेमिनल न्यूरैल्जिया यानी टीएन एक प्रकार का जीर्ण दर्द है जिसकी वजह से अत्यधिक और आकस्मिक जलनशील या करंट के झटके जैसा दर्द होता है। यह चेहरे के एक भाग को इस तरह प्रभावित करता है कि कई बार महीनों तक पीड़ित व्यक्ति बोल तक नहीं पाता। आमतौर पर टीएन 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, महिलाएं इससे ज्यादा पीड़ित होती हैं। टीएन ट्राईजेमिनल नस के किसी रक्तवाहिका से दबने से होता है। यह सिर की सबसे लंबी नसों में से एक है। ट्यूमर और एकाधिक स्क्लेरोसिस की वजह से भी टीएन हो सकता है। कुछ मामलों में इसका कारण पता नहीं चलता। इस टीम में डॉ. मालती अग्रवाल, डॉ. रामपाल सिंह, डॉ. निहारिका अरोड़ा, डॉ. शुभ्रो मित्रा, डॉ. गोपाल किशन और डॉ. वरुण अग्रवाल शामिल हैं।
भुता के युवक का किया इलाज
24 नवंबर को टीएन से पीड़ित भुता के हरीश दांत के दर्द के भ्रम में मेडिकल कॉलेज में डेंटिस्ट के पास पहुंचे। दर्द की वजह से वह बोल तक नहीं पा रहे थे। टीएन की पुष्टि के बाद डॉक्टरों ने ने मिप्सी तकनीक के जरिये उनका इलाज किया। एक घंटे में ही उन्हें आराम मिल गया और छह घंटे बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि हरीश टीएन से तीन साल से पीड़ित थे। उन्होंने काम भी करना बंद कर दिया था। टीम ने बताया कि मिप्सी तकनीक विभिन्न कारणों से शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाले दर्द का इलाज करने में भी इतनी ही कारगर है।
डॉक्टरों की इस टीम ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि ट्राईजेमिनल न्यूरैल्जिया यानी टीएन एक प्रकार का जीर्ण दर्द है जिसकी वजह से अत्यधिक और आकस्मिक जलनशील या करंट के झटके जैसा दर्द होता है। यह चेहरे के एक भाग को इस तरह प्रभावित करता है कि कई बार महीनों तक पीड़ित व्यक्ति बोल तक नहीं पाता। आमतौर पर टीएन 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है, महिलाएं इससे ज्यादा पीड़ित होती हैं। टीएन ट्राईजेमिनल नस के किसी रक्तवाहिका से दबने से होता है। यह सिर की सबसे लंबी नसों में से एक है। ट्यूमर और एकाधिक स्क्लेरोसिस की वजह से भी टीएन हो सकता है। कुछ मामलों में इसका कारण पता नहीं चलता। इस टीम में डॉ. मालती अग्रवाल, डॉ. रामपाल सिंह, डॉ. निहारिका अरोड़ा, डॉ. शुभ्रो मित्रा, डॉ. गोपाल किशन और डॉ. वरुण अग्रवाल शामिल हैं।
भुता के युवक का किया इलाज
24 नवंबर को टीएन से पीड़ित भुता के हरीश दांत के दर्द के भ्रम में मेडिकल कॉलेज में डेंटिस्ट के पास पहुंचे। दर्द की वजह से वह बोल तक नहीं पा रहे थे। टीएन की पुष्टि के बाद डॉक्टरों ने ने मिप्सी तकनीक के जरिये उनका इलाज किया। एक घंटे में ही उन्हें आराम मिल गया और छह घंटे बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। डॉक्टरों ने बताया कि हरीश टीएन से तीन साल से पीड़ित थे। उन्होंने काम भी करना बंद कर दिया था। टीम ने बताया कि मिप्सी तकनीक विभिन्न कारणों से शरीर के दूसरे हिस्सों में होने वाले दर्द का इलाज करने में भी इतनी ही कारगर है।