राम मंदिर में दिखेगी रामायण की झलक, संघ की बैठक में देश के मंदिरों के विकास और संरक्षण पर चर्चा
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में रामायण के सातों अध्याय की झलक दिखेगी। इसके लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) देशभर के विद्वानों से रायशुमारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट से अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णय के बाद राम मंदिर के भव्य और दिव्य स्वरूप पर बुधवार को आरएसएस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने काशी में चर्चा की। काशी विश्वनाथ मंदिर की तरह ही देश के बड़े मंदिरों के विकास और संरक्षण पर भी बात की गई। इसमें सहमति बनाई गई कि देश के बड़े मंदिरों से काशी के विद्वानों को जोड़ा जाए। काशी के ज्योतिष और धर्मशास्त्र से हिन्दू धर्म को भव्यता दी जाए।


आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी और सह सरकार्यवाह डा. कृष्णगोपाल, विहिप के उपाध्यक्ष चंपत राय, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में दूसरे दिन भी राम मंदिर निर्माण पर चर्चा की गई। संघ की ओर से सुझाव दिया गया कि वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ हुआ है। मंदिर पर आए निर्णय को पूरे देश ने स्वीकार किया है। ऐसे में अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण समस्त हिन्दू समाज की जिम्मेदारी है। आरएसएस राम मंदिर निर्माण के लिए गांव-गांव में चर्चा कर जनसहयोग का माहौल बनाएगा।
इसी दौरान देश के बड़े मंदिरों के विकास और संरक्षण पर जनमानस की राय भी जाएगी। राम मंदिर निर्माण से पहले वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास रचित रामचरित मानस के विद्वानों से भगवान राम के जीवन चक्र के पहलुओं को समझा जाएगा। राम मंदिर में भगवान राम के जीवन से जुड़े हर पहलु को शामिल भी किया जाएगा। बैठक में बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डा. फिरोज खान की नियुक्ति पर उपजे विवाद पर भी चर्चा हुई।

काशी विश्वनाथ धाम की मंदिर माला बने भव्य


संघ की बैठक में निर्माणाधीन काशी विश्वनाथ धाम पर चर्चा हुई और ध्वस्तीकरण अभियान में सामने आई मंदिर माला को सरकार के सार्थक प्रयास से जोड़ा गया। देश के मंदिरों के विकास और संरक्षण पर संघ अपना नजरिया प्रस्तुत करेगा। काशी विश्वनाथ धाम देश के प्राचीन मंदिरों के लिए आदर्श स्थापित करेगा।

गांव-गांव में संस्कृत का होगा प्रचार


आरएसएस गांवों में संस्कृत भाषा के प्रचार प्रचार के लिए भी अभियान चलाएगा। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के अनुदान बढ़ाने और उसे केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने पर चर्चा की गई। संघ की ओर से तय किया गया कि संस्कृत भाषा के उत्थान से भारत परम वैभव की ओर बढ़ेगा।