यूपी पावर कॉर्पोरेशन लि. (यूपीपीसीएल) के पावर इम्प्लॉइज ट्रस्ट में जमा पीएफ का पैसा डीएचएफएल में निवेश कराने में ब्रोकर की भूमिका निभाने वाला अभिनव गुप्ता आखिरकार आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के हाथ आ ही गया। अभिनव पहले ही गिरफ्तार हो चुके ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता का बेटा है। नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि अभिनव की गिरफ्तारी भी संभव है। हालांकि इस पर निर्णय आला अधिकारी ही लेंगे।
गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद से ही ईओडब्ल्यू अभिनव को पूछताछ और बयान दर्ज कराने के लिए लगातार नोटिस भेजा जा रहा था। नोएडा पुलिस की लगातार दबिश के बीच अभिनव मंगलवार को खुद लखनऊ में ईओडब्ल्यू के दफ्तर पहुंच गया। छुट्टी के दिन के बावजूद ईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों ने दफ्तर पहुंचकर उससे लंबी पूछताछ की। हालांकि ईओडब्ल्यू के अफसर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं।
पीएफ घोटाले में अभिनव को अहम कड़ी माना जा रहा है। वह नोएडा के सेक्टर-121 में रहकर रियल एस्टेट का कारोबार करता है। सूत्रों की मानें तो ट्रस्ट और डीएचएफएल के बीच सौदे के बदले उसने मोटा कमीशन लिया था। कमीशन की रकम रियल एस्टेट के कारोबार में लगाने के लिए उसने नोएडा के कुछ कारोबारियों को अपना साझीदार भी बनाया था। अभिनव ने पूछताछ में कई अहम राज उगले हैं।
गुप्ता की गिरफ्तारी के बाद से ही ईओडब्ल्यू अभिनव को पूछताछ और बयान दर्ज कराने के लिए लगातार नोटिस भेजा जा रहा था। नोएडा पुलिस की लगातार दबिश के बीच अभिनव मंगलवार को खुद लखनऊ में ईओडब्ल्यू के दफ्तर पहुंच गया। छुट्टी के दिन के बावजूद ईओडब्ल्यू के वरिष्ठ अधिकारियों ने दफ्तर पहुंचकर उससे लंबी पूछताछ की। हालांकि ईओडब्ल्यू के अफसर आधिकारिक तौर पर कुछ भी बताने से इनकार कर रहे हैं।
पीएफ घोटाले में अभिनव को अहम कड़ी माना जा रहा है। वह नोएडा के सेक्टर-121 में रहकर रियल एस्टेट का कारोबार करता है। सूत्रों की मानें तो ट्रस्ट और डीएचएफएल के बीच सौदे के बदले उसने मोटा कमीशन लिया था। कमीशन की रकम रियल एस्टेट के कारोबार में लगाने के लिए उसने नोएडा के कुछ कारोबारियों को अपना साझीदार भी बनाया था। अभिनव ने पूछताछ में कई अहम राज उगले हैं।
ब्रोकर फर्मों में अभिनव भी था हिस्सेदार
सूत्रों का कहना है कि डीएचएफएल में निवेश के लिए जिन ब्रोकर फर्मों ने काम किया, उनमें अभिनव की भी हिस्सेदारी थी। अभी तक की जांच में नौ फर्में फर्जी पाई गई हैं। फर्मों के बारे में पूछताछ के दौरान वह गोलमोल जवाब देता रहा और खुद को बेकसूर बताता रहा। वहीं, ईओडब्ल्यू उसके बैंक खातों, संपत्तियों और अन्य स्थानों पर किए गए निवेश की जानकारी जुटा रहा है।
कई और अफसरों के रिश्तेदारों पर निगाहें
ईओडब्ल्यू यूपीपीसीएल में अपनी सेवाएं दे चुके कुछ और अधिकारियों के रिश्तेदारों पर भी शिकंजा कस सकता है। दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड में रहने वाले एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के तीन करीबी रिश्तेदारों को ब्रोकर फर्मों के जरिये मोटा मुनाफा पहुंचाया गया। ईओडब्ल्यू इसकी भी पड़ताल में जुटा है।
कई और अफसरों के रिश्तेदारों पर निगाहें
ईओडब्ल्यू यूपीपीसीएल में अपनी सेवाएं दे चुके कुछ और अधिकारियों के रिश्तेदारों पर भी शिकंजा कस सकता है। दावा किया जा रहा है कि उत्तराखंड में रहने वाले एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी के तीन करीबी रिश्तेदारों को ब्रोकर फर्मों के जरिये मोटा मुनाफा पहुंचाया गया। ईओडब्ल्यू इसकी भी पड़ताल में जुटा है।