पीएफ घोटालाः बिजली दफ्तरों में नहीं हुआ काम, राजस्व वसूली ठप, भटकते रहे उपभोक्ता
भविष्य निधि घोटाला के विरोध में दो दिनी कार्य बहिष्कार के पहले दिन सोमवार को प्रदेश भर में 45 हजार अभियंताओं व कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। इससे प्रदेश भर में राजस्व वसूली का कार्य ठप हो गया। कार्य बहिष्कार मंगलवार को भी जारी रहेगा।


विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि 20 नवंबर को समिति पदाधिकारियों एवं अन्य संगठनों बैठक में आरपार की लड़ाई का एलान किया जाएगा। हालांकि संविदा कर्मियों ने बिजली की सप्लाई को जिम्मेदारी संभाल रखी है।
कार्य बहिष्कार के चलते सोमवार को उपभोक्ता सेवाएं प्रभावित रहीं। विद्युत उपकेंद्र और कार्यालय में अभियंताओं और कर्मचारियों के न होने से कारण बिल संशोधन, खराब मीटर को बदलवाने समेत अन्य कार्यों के लिए उपभोक्ता भटकते रहे।
गौरतलब है कि अवर अभियंता कार्य बहिष्कार में शामिल नहीं थे, लेकिन वे उपकेंद्र में बैठक के बजाय इधर-उधर ही रहे। उधर, विद्युत परिषद आशुलेखक संघ ने भी मंगलवार को कार्य बहिष्कार में शामिल होने का फैसला किया है। यह जानकारी केंद्रीय अध्यक्ष वीके सिंह कलहंस ने दी।


सभी दफ्तरों के बिजली कार्मिक प्रदर्शन में शामिल



कार्य बहिष्कार के चलते शक्ति भवन में पसरा सन्नाटा - फोटो : अमर उजाला



दुबे ने कहा कि समिति तत्काल 26 अरब रुपये के भुगतान की मांग नहीं कर रही है, बल्कि इसके भुगतान की गारंटी मांग रही है जिससे बिजली कर्मचारी निश्चिंत होकर काम कर सकें। वर्ष 2000 में भी ऐसी ही गारंटी यूपी सरकार ले चुकी है, इसका गजट भी उपलब्ध है। ऊर्जा विभाग के नौकरशाह वर्तमान में सरकार को गुमराह कर रहे हैं।
लखनऊ में लेसा व मध्यांचल समेत सभी दफ्तरों के बिजली कर्मचारियों व अभियंताओं ने कार्य बहिष्कार में हिस्सा लिया। शक्ति भवन में हुई सभा संघर्ष समिति के राजीव सिंह, राजपाल सिंह, राजेंद्र घिल्डियाल, विनय शुक्ला, शशिकांत श्रीवास्तव समेत अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ने संबोधित किया। उधर, विद्युत कर्मचारी मोर्चा संगठन के कार्यकर्ताओं ने अध्यक्ष चंद्रप्रकाश अवस्थी बब्बू की अध्यक्षता में विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद संगठन के एक प्रतिनिधिमंडल ने चेयरमैन अरविंद कुमार से मुलाकात की।
नियमों को दरकिनार कर  निवेश
शैलेंद्र दुबे ने कहा कि नियमों को ताक पर रखकर जीपीएफ के 2631.20 करोड़ और सीपीएफ के 1491.50 करोड़ रुपये दागी कंपनी डीएचएफएल में निवेश किए गए। कुल 1800 करोड़ मिल चुके हैं, लेकिन जीपीएफ के 1445.70 करोड़ और सीपीएफ के 822.20 करोड़ रुपये डूब गए हैं। यह रकम मात्र 7.75 प्रतिशत ब्याज पर दे दी गई, जो राष्ट्रीयकृत बैंकों के ब्याज दर से भी कम है।




सरकार उठा रही जरूरी कदम



बिजली कर्मियों का प्रदर्शन - फोटो : अमर उजाला



यूपी पावर आफीसर्स एसोसिएशन के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से मुलाकात की। इस दौरान ट्रस्ट के लगभग 2268 करोड़ डीएचएफएल में अब तक फंसे होने के के मामले में सरकार से गारंटी के लिए कदम उठाने की मांग की।
एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा के मुताबिक ऊर्जा मंत्री ने एसोसिएशन को बताया कि जिन कार्मिकों ने जीपीएफ/सीपीएफ से विवाह व अन्य कार्यों के लिए कॉर्पोरेशन से पैसे की मांग की है।
उन्हें कॉर्पोरेशन समय से भुगतान कर रहा है और आगे भी कोई परेशानी नहीं होगी। सरकार पैसा वापसी के लिए हर संभव कदम उठा रही है, जल्द ही सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। प्रतिनिधिमंडल में आरपी केन, अजय कुमार, योगेश कुमार, आदर्श कौशल व अवनीश कुमार शामिल थे।