परिषदीय स्कूलों की खेल प्रतियोगिता
बरेली। स्कूलों का कायाकल्प करने के दावे भले ही सरकार कर रही हो, लेकिन बेसिक स्कूलों में होने वाली खेलकूद प्रतियोगिता उसी ढर्रे पर चल रही हैं। बुधवार को स्पोर्ट्स स्टेडियम में बेसिक स्कूलों की खेलकूद प्रतियोगिता में बच्चे नंगे पैर ट्रैक पर दौड़ते रहे। आखिर में जब थके हारे बच्चों को खाना खिलाने की बारी आई तो पहले उनसे मजदूरी कराई। फिर बोरे में भरे भोजन के पैकेट बांटकर जमीन पर बिठा दिया गया।
स्पोर्ट्स स्टेडियम में बुधवार को 35वीं बाल क्रीड़ा एवं शैक्षिक प्रतियोगिता हुई। दो दिवसीय खेलकूद प्रतियोगिता के पहले दिन खेलों के नाम पर खानापूर्ति हुई। स्टेडियम में हुई दौड़ प्रतियोगिता में अधिकांश बच्चे नंगे पैर दौड़े। एक ओर जहां मंच पर खंड शिक्षा अधिकारी, बीएसए और सहायक उपनिदेशक तक बैठे रहे, वहीं उनके सामने ट्रैक पर दौड़ प्रतियोगिता में बच्चे नंगे पैर दौड़ते रहे। नियमानुसार बच्चों को जूते में दौड़ना चाहिए ताकि उनके पैर जख्मी न हों। लेकिन यहां का नजारा कुछ और ही रहा।
फोटो: बोरे उठवाए फिर बांटा खाना
बच्चों को खाना खिलाने की बारी आई तो उनसे पहले गाड़ियों में लदे भोजन के पैकेट उठवाकर मैदान तक मंगाए और फिर वितरण के बाद बच्चों को खाने के लिए जमीन पर बैठना पड़ा। साथ ही, पेयजल की व्यवस्था भी बदहाल रही। बच्चे अपने साथ लाई प्लास्टिक की बोतलों में पानी पीने को विवश रहे।
खेल और सांस्कृतिक प्रतियोगिता
जिला बाल क्रीड़ा प्रतियोगिता मेें प्राथमिक स्तर की बालक और बालिका वर्ग की 50 मीटर, सौ मीटर, चार सौ मीटर रेस, लंबी कूद, खो-खो, कबड्डी, एकांकी, शारीरिक प्रदर्शन, लोकगीत-लोकनृत्य की प्रतियोगिता आयोजित हुई। उद्घाटन सहायक शिक्षा निदेशक एसएन सिंह और बीएसए तनुजा त्रिपाठी ने किया।
जुनैद और मुस्कान बने चैंपियन
प्रतियोगिता में प्राथमिक स्तर पर बालक वर्ग में शेरगढ़ से जुनैद और बालिका वर्ग में मुस्कान ओवरआल चैंपियन रहे। विजेताओं को बीईओ देवेश राय, शेर सिंह, विजय सिंह कुशवाहा व अन्य ने सम्मानित किया। बीइओ राजीव श्रीवास्तव ने बताया कि गुरुवार को उच्च प्राथमिक स्तर प्रतियोगिता आयोजित होगी।
वर्जन:
बजट का अभाव है। इसलिए सीमित संसाधनों में खेल कूद प्रतियोगिता होती है। खेल शिक्षकों को चाहिए कि खिलाड़ियों को पूरी तैयारी के साथ खेल के मैदान में लाए। जूतों से लेकर ड्रेस आदि पर ध्यान दें। भविष्य में बच्चों की बेहतरी का प्रयास करेंगे।- तनुजा त्रिपाठी, बीएसए