नोटबंदी के तीन साल: डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के नाम पर कई एटीएम हो चुके बंद, ग्राहक परेशान
नोटबंदी के तीन साल पूरे होने वाले हैं। 8 नवंबर 2016 की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 500 और एक हजार रुपये का नोट चलन में बंद करने के एलान के बाद सबसे ज्यादा भीड़ बैंक और एटीएम पर उमड़ी थी। तब से लेकर अब तक इन दो सालों में आगरा जिले के 102 एटीएम पर लगा ताला अब तक खुल नहीं पाया है। जिले के 770 में से 102 एटीएम स्थाई रूप से बंद हो चुके हैं, जिनके शटर के ताले पर जंग लग चुकी है।
आगरा जिले में नोटबंदी के बाद से ही एटीएम के खराब होने और स्थाई रूप से बंद होने के कारण 22 लाख से ज्यादा बैंक ग्राहकों को नगदी निकालने के लिए जूझना पड़ता है। नए नोटों के चलन में आने के बाद बैंकों ने एटीएम की कैश ट्रे को केलिब्रेट करने में ही तीन महीने का समय ले लिया था। 
इसके बाद समय-समय पर नए नोटों के मुताबिक ट्रे का केलिब्रेशन एटीएम को बंद करने की वजह बनता रहा है। रिजर्व बैंक को अक्तूबर तक भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक आगरा में 102 एटीएम बंद हैं, जबकि हकीकत ये है कि स्थाई रूप से बंद एटीएम के साथ ऐसे एटीएम की संख्या 300 पार है, जिनमें नगदी न होने और खराब होने की समस्या ज्यादा है।
जिले में इतने हैं बैंक-एटीएम
जिले भर में 770 एटीएम हैं।
आगरा में 508 बैंक शाखाएं हैं। 
60 हजार तक हर एटीएम पर खर्च।
22.7 लाख हैं बैंक एकाउंट।
6.6 लाख हैं जनधन खाते।

30 से 60 हजार का हर एटीएम का खर्च


ऑन साइट एटीएम पर 30 हजार तक और ऑफ साइट एटीएम पर 60 हजार रुपये तक का खर्च होता है। बैंक शाखाओं की इमारत में ज्यादातर एटीएम चल रहे हैं, लेकिन ऑफ साइट एटीएम खराब और बंद पड़े हैं। 
यह हालत तब है, जब सभी एटीएम से सिक्योरिटी गार्ड इन दो सालों में हटा लिए गए हैं। रात में गार्ड नहीं होने से आउटर और ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस एटीएम का शटर बंद करा जाती है।
नोटबंदी के समय रहे पूर्व लीड बैंक मैनेजर पंकज सक्सेना का कहना है कि नोटबंदी के बाद जिन बैंकों के एटीएम बंद थे, मैंने उन सभी बैँकों को आउटसोर्सिंग कंपनियों के भुगतान में कटौती कर जुर्माना लगाने की सिफारिश की थी। 22 लाख एटीएम कार्डधारक नगदी के लिए भटकें और एटीएम बंद हों, यह बैंकों की साख के लिए अच्छी स्थिति नहीं है। 



लीड बैंक मैनेजर केके गौतम ने कहा कि जिले में जिन बैंकों के एटीएम बंद होने की जानकारी दी गई है, उन सभी के प्रबंधन से एटीएम चालू कर सुविधाएं जारी रखने को कहा गया है।
नोटबंदी के बाद कम हो गए बैंक होम लोन
यूपी बैंक इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री एमएम राय के मुताबिक सरकार के नोटबंदी के फैसले पर निजी बैंकों ने मनमानी की। नगदी वितरण में निजी बैंकों को फायदा पहुंचाया गया और सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के ग्राहकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इससे उनके ग्राहक निजी बैंकों को शिफट हो गए। 
नोटबंदी से जो तरल मुद्रा चलन में थी, उसके रुकने से रीयल इस्टेट सेक्टर डूब गया। यही वजह है कि दो साल में बैंकों के होम लोन की संख्या एक चौथाई भी नहीं है। कोई बड़ा प्रोजेक्ट ही नहीं है तो होम लोन कैसे बांटा जाए।



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