इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देवरिया में सिंचाई विभाग के अंशकालिक से नियमित हुए नलकूप चालकों को पेंशन का लाभ देने के मामले में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचीगण को सुप्रीमकोर्ट के प्रेम सिंह केस में दिए गए फैसले के तहत दो माह के भीतर पेंशन देने के मामले में निर्णय लिया जाए
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने गुल मोहम्मद व 11 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता राघवेंद्र प्रसाद मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि याचीगण 1983 से 1985 के बीच अंशकालिक नलकूप चालक पद पर नियुक्त हुए। 1998 के बाद इन्हें नियमित किया गया। नियमितीकरण में देरी के कारण इन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन आदि का भुगतान नहीं किया गया। याची का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि नियमित पेंशन पाने के हकदार हैं। विभाग में सुनवाई न होने के कारण हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले के तहत सिंचाई विभाग को याचीगण को पेंशन देने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने गुल मोहम्मद व 11 अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका पर अधिवक्ता राघवेंद्र प्रसाद मिश्र ने बहस की। इनका कहना था कि याचीगण 1983 से 1985 के बीच अंशकालिक नलकूप चालक पद पर नियुक्त हुए। 1998 के बाद इन्हें नियमित किया गया। नियमितीकरण में देरी के कारण इन्हें सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन आदि का भुगतान नहीं किया गया। याची का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि नियमित पेंशन पाने के हकदार हैं। विभाग में सुनवाई न होने के कारण हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले के तहत सिंचाई विभाग को याचीगण को पेंशन देने पर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।