लखनऊ के आवासीय क्षेत्र में गोमतीनगर और व्यावसायिक में चारबाग की हवा सबसे अधिक प्रदूषित मिली है। बुधवार को जारी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च (आईआईटीआर) की पोस्ट मानसून रिपोर्ट-2019 में इसका खुलासा हुआ है। इसमें मेट्रो और रिवरफ्रंट जैसे काम बंद होने के बाद भी गोमतीनगर की हवा प्रदूषित मिलने पर चिंता जताई गई है।
आईआईटीआर के निदेशक डॉ. आलोक धवन का कहना है कि शहर में बड़े निर्माण बंद होने पर भी वायु प्रदूषण स्थिर मिल रहा है। पिछली साल की तुलना में मामूली कमी आई है, पर अभी भी यह मानक से अधिक है, जोकि चिंताजनक है। जिला प्रशासन और अन्य विभागों को इस पर समग्र रूप से काम करना होगा।
शहर में मौजूद वैज्ञानिक संस्थाओं को भी इससे जोड़ा जाए। व्यापक स्तर पर काम होने के बाद ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। मानक से तीन गुना अधिक तक पीएम2.5 और पीएम10 का मिलना खतरनाक संकेत है। लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए जरूरी है कि इस पर काबू पाया जाए
शहर में मौजूद वैज्ञानिक संस्थाओं को भी इससे जोड़ा जाए। व्यापक स्तर पर काम होने के बाद ही वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है। मानक से तीन गुना अधिक तक पीएम2.5 और पीएम10 का मिलना खतरनाक संकेत है। लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए जरूरी है कि इस पर काबू पाया जाए
सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ में वायु प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है। 300 से कम एक्यूआई के बाद फिर से यह ऊपर पहुंच गया है। मंगलवार को एक्यूआई 322 था, जो बुधवार को 354 हो गया। तालकटोरा का एक्यूआई तो 404 पर पहुंच गया, जो हवा के खतरनाक होने का संकेत है।
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फिर बढ़ने लगा वायु प्रदूषण
सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक लखनऊ में वायु प्रदूषण फिर बढ़ने लगा है। 300 से कम एक्यूआई के बाद फिर से यह ऊपर पहुंच गया है। मंगलवार को एक्यूआई 322 था, जो बुधवार को 354 हो गया। तालकटोरा का एक्यूआई तो 404 पर पहुंच गया, जो हवा के खतरनाक होने का संकेत है।
वैज्ञानिकों की सिफारिश
निजी वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग की दरें बढ़ें ट्रैफिक प्रबंधन बेहतर हो अतिक्रमण विरोधी अभियान चले कूड़ा न जलने दिया जाए डीजल पर निर्भरता घटाने की जरूरत
सीएनजी का उपयोग बढ़ रहा
राजधानी में वाहनों की संख्या पिछले साल की तुलना में 9.24 प्रतिशत बढ़ी है। ईंधन खर्च भी बढ़ा है। पेेट्रोल का खर्च 8.04 प्रतिशत और डीजल की खपत 4.83 प्रतिशत बढ़ी है। सीएनजी के उपयोग में 10.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
वैज्ञानिकों की सिफारिश
निजी वाहनों को हतोत्साहित करने के लिए पार्किंग की दरें बढ़ें ट्रैफिक प्रबंधन बेहतर हो अतिक्रमण विरोधी अभियान चले कूड़ा न जलने दिया जाए डीजल पर निर्भरता घटाने की जरूरत
सीएनजी का उपयोग बढ़ रहा
राजधानी में वाहनों की संख्या पिछले साल की तुलना में 9.24 प्रतिशत बढ़ी है। ईंधन खर्च भी बढ़ा है। पेेट्रोल का खर्च 8.04 प्रतिशत और डीजल की खपत 4.83 प्रतिशत बढ़ी है। सीएनजी के उपयोग में 10.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।