अयोध्या विवाद मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला कभी भी आ सकता है। हालांकि इससे पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने दावा किया है कि अयोध्या में किसी भी हिंदू मंदिर को तोड़कर बाबरी मस्जिद का ढांचा नहीं खड़ा किया गया था। जमीयत उलेमा-ए-हिंद का यह भी कहना है कि उसका यह दावा एतिहासिक तथ्य पर आधारित है।
नकवी के घर हुई बैठक में आखिर क्या कुछ हुआ था
केंद्रीय मंत्री नकवी के घर हुई बैठक के बाद शिया धर्मगुरु मौलाना सैयद कल्बे जावेद ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला सुनाएगा, हमें उसका सम्मान करना चाहिए। हम सभी से शांति बनाए रखने की अपील करेंगे।
वहीं अखिल भारतीय सूफी सज्जादनशीं परिषद अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का कहना था कि बैठक के दौरान हर कोई इस बात पर एकमत था कि सभी धर्मों के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। हम सभी दरगाहों को दिशा-निर्देश देंगे कि वो लोगों से अपील करें कि अफवाहों और झूठी खबरों पर विश्वास न करें।
वहीं अखिल भारतीय सूफी सज्जादनशीं परिषद अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती का कहना था कि बैठक के दौरान हर कोई इस बात पर एकमत था कि सभी धर्मों के लोगों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। हम सभी दरगाहों को दिशा-निर्देश देंगे कि वो लोगों से अपील करें कि अफवाहों और झूठी खबरों पर विश्वास न करें।
केंद्र सरकार ने अयोध्या भेजे चार हजार जवान
केंद्र सरकार ने कोर्ट का फैसला आने को ध्यान में रखते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बीते सोमवार को केंद्रीय शस्त्र पुलिस बल के करीब चार हजार जवानों को उत्तर प्रदेश भेजने का निर्णय किया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के इस निर्णय के मुताबिक पुलिस बल 18 नवंबर तक राज्य में तैनात रहेगा।
मंत्रालय ने तुरंत प्रभाव से पैरामिलिट्री फोर्स की पंद्रह कंपनियों को भेजने की भी मंजूरी दी है। मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि पैरा मिलिट्री फोर्स की 15 कंपनियों के अलावा बीएसएफ, आरएएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की तीन-तीन कंपनियां भेजी जाएंगी।
मंत्रालय ने तुरंत प्रभाव से पैरामिलिट्री फोर्स की पंद्रह कंपनियों को भेजने की भी मंजूरी दी है। मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि पैरा मिलिट्री फोर्स की 15 कंपनियों के अलावा बीएसएफ, आरएएफ, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी की तीन-तीन कंपनियां भेजी जाएंगी।
इस वजह से अंतिम फैसले को लेकर बढ़ी हलचल
अयोध्या में राम जन्मभूमि विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला जल्द आने के पीछे कारण यह है कि उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। न्यायाधीश गोगोई पहले ही कह चुके हैं कि वह सेवानिवृत्त होने से पहले इस मामले में अंतिम फैसला देना चाहते हैं।
ऐसे में उनके कार्यकाल के बस कुछ ही कार्यदिवस शेष रह गए हैं। इससे साफ है कि मामले की सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इन्हीं बचे हुए दिनों में अपना फैसला सुना सकती है। यही वजह है कि 17 नवंबर से पहले इसे लेकर हलचल बढ़ गई है।
ऐसे में उनके कार्यकाल के बस कुछ ही कार्यदिवस शेष रह गए हैं। इससे साफ है कि मामले की सुनवाई करने वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इन्हीं बचे हुए दिनों में अपना फैसला सुना सकती है। यही वजह है कि 17 नवंबर से पहले इसे लेकर हलचल बढ़ गई है।