प्रयागराज। संगम की रेती पर लगने वाले माघ मेले में तरह-तरह की मान्यता, विचारधारा वाले संतों के बीच अबकी पहली बार जूना अखाड़े के अनुसूचित जाति के पहले महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि भी शिविर बसाएंगे। उनकी पहल पर माघ मेले में दलितों के लिए महासम्मेलन आयोजित किया जाएगा। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग से जुड़े तमाम साधक, शिष्य शामिल होंगे। इस दौरान सनातन धर्म से दूरी बना चुके लोगों को सनातन धर्म में वापस लाने के लिए भी मुहिम छेड़ी जाएगी।
मेले के दौरान प्रतिदिन शिव शक्ति पर प्रवचन के तहत सामाजिक हित और एकजुटता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। बाद में दस महाविद्या का याज्ञिक अनुष्ठान होगा, जिसमें इन्हीं वर्गों से जुड़े विद्वान कर्मकांड कराएंगे। जुटे साधक परिवार, समाज और राष्ट्र की कुशलता के लिए आहुतियां डालेंगे। जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। साथ ही वंचित परिवारों और बच्चों का चयन करके, शिक्षा-दीक्षा के माध्यम से उनका जीवन स्तर सुधारा जाएगा। इससे धर्मपरिवर्तन की होड़ भी रुकेगी।
'अमर उजाला' से बातचीत में महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि ने बताया कि वैचारिक आदान-प्रदान की माघ मेले की अवधारणा को फलीभूत करते हुए समाज के वंचित, शोषित और जरूरतमंद लोगों को नई सोच, नए संकल्प से जोड़ा जाएगा ताकि उनका जीवन स्तर सुधरे। आज ये सभी लोग विभिन्न विचारधाराओं में खंड-खंड बंट गए हैं। उन्हें 'सेवेन एस' यानी सम्मान, संस्कार, शिक्षा, संगठन, संघर्ष, सेवा और सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाएगा। बताया जाएगा कि न हीन भावना पालो और न ही अपना सम्मान गंवाओ। शिक्षा और परिश्रम के माध्यम से अपनी राह चुनो और सफल होने पर दूसरों की मदद भी करो। इसी से समाज और देश आगे बढ़ेगा। नेताओं के वोट बैंक बनने के बजाय समाजिक विकास के लिए संगठित हों।
मेले के दौरान प्रतिदिन शिव शक्ति पर प्रवचन के तहत सामाजिक हित और एकजुटता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी। बाद में दस महाविद्या का याज्ञिक अनुष्ठान होगा, जिसमें इन्हीं वर्गों से जुड़े विद्वान कर्मकांड कराएंगे। जुटे साधक परिवार, समाज और राष्ट्र की कुशलता के लिए आहुतियां डालेंगे। जरूरतमंद बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के लिए भी अभियान चलाया जाएगा। साथ ही वंचित परिवारों और बच्चों का चयन करके, शिक्षा-दीक्षा के माध्यम से उनका जीवन स्तर सुधारा जाएगा। इससे धर्मपरिवर्तन की होड़ भी रुकेगी।
'अमर उजाला' से बातचीत में महामंडलेश्वर कन्हैया प्रभुनंद गिरि ने बताया कि वैचारिक आदान-प्रदान की माघ मेले की अवधारणा को फलीभूत करते हुए समाज के वंचित, शोषित और जरूरतमंद लोगों को नई सोच, नए संकल्प से जोड़ा जाएगा ताकि उनका जीवन स्तर सुधरे। आज ये सभी लोग विभिन्न विचारधाराओं में खंड-खंड बंट गए हैं। उन्हें 'सेवेन एस' यानी सम्मान, संस्कार, शिक्षा, संगठन, संघर्ष, सेवा और सुरक्षा के बारे में जागरूक किया जाएगा। बताया जाएगा कि न हीन भावना पालो और न ही अपना सम्मान गंवाओ। शिक्षा और परिश्रम के माध्यम से अपनी राह चुनो और सफल होने पर दूसरों की मदद भी करो। इसी से समाज और देश आगे बढ़ेगा। नेताओं के वोट बैंक बनने के बजाय समाजिक विकास के लिए संगठित हों।