भूफियाओं ने बेच दी करोड़ाां की सरकारी जमीन
फर्जी कागजात बनाकर भूमाफिया ने कैंट क्षेत्र के द्रौपदीघाट स्थित करीब पांच बीघा सरकारी जमीन 76 लोगों को बेच दी। करोड़ों रुपये की इस जमीन की खरीद-फरोख्त के खेल में सरकारी कर्मचारियों की भी मिलीभगत सामने आई है। जमीन के एक पक्षकार राजाराम की अपील पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी भानुचंद्र गोस्वामी ने फर्जी तरीके से राजस्व रिकार्ड में की गई सभी इंट्री (इंदराज) रद्द कर दी हैं। साथ ही डीएम ने फर्जीवाड़ा करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया है।
इसके अलावा डीएम ने फर्जीवाड़ा में सहयोग करने के आरोपी सहायक अभिलेख अधिकारी, सर्वे कानूनगो तथा क्षेत्रीय लेखपाल की भूमिका की जांच करने का एडीएम वित्त एवं राजस्व को आदेश दिया है। दोष सिद्ध होने पर इनके खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया है। शिकायतकर्ता राजाराम ने जिलाधिकारी के समक्ष तहसील सदर द्वारा पारित 23 मार्च 2015 को पारित आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की थी। कहा गया कि मौजा कछार मऊ में स्थित आराजी संख्या 94 का क्षेत्रफल पांच बीघा है। जमीन ग्राम सभा की है जो कछार में स्थित है। बाद में इसे अनुसूचित जाति की सावित्री देवी को श्रेणी तीन असामी (सिर्फ खेती का अधिकार) के तहत आवंटित किया गया था। सावित्री देवी की मृत्यु के बाद द्रौपदी घाट निवासी श्याम बाबू और रामबाबू ने फर्जी कागजात तैयार कराकर खुद को सावित्री का पुत्र घोषित कर लिया और जमीन अपने नाम से चढ़वा ली। इसके बाद दोनों ने यह भूमि 76 लोगों को बेच दी। इसके खिलाफ आई आपत्तियों को तहसील सदर द्वारा खारिज कर दिया गया, जिसे अपील में चुनौती दी गई। जिलाधिकारी द्वारा प्रपत्रों की जांच में पाया गया कि रामबाबू और श्याम बाबू सावित्री के पुत्र नहीं है और वह कुर्मी जाति के हैं। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन पर अपना नाम दर्ज कराया था। डीएम ने दोनों के इंदराज रद्द करते हुए जमीन सरकार के नाम दर्ज करने का निर्देश दिया है।