अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर मंगलवार को लखनऊ में हुई सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में पुनर्विचार याचिका न डालने का फैसला लिया गया। बैठक में बोर्ड के सात में से छह सदस्यों ने याचिका न दाखिल करने पर सहमति जताई जबकि सिर्फ एक सदस्य अब्दुल रज्जाक खान चाहते थे कि पुनर्विचार याचिका दाखिल की जाए।
बैठक के कुछ देर बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह पुनर्विचार याचिका नहीं दाखिल करेंगे। हर किसी के अपने विचार होते हैं। हम उनके फैसले पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे।
जिलानी ने कहा कि मुस्लिम समाज आज भी पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है। जो भी पुनर्विचार याचिका का विरोध कर रहे हैं वो किसी एक शहर में जाकर मुसलमानों का जलसा बुलाएं और उनकी राय जानें। पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों की राय को देखते हुए पुनर्विचार याचिका डालने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि पुनर्विचार याचिका का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। सारी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। हम दिसंबर के पहले सप्ताह में याचिका दाखिल करेंगे।
वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में सुप्रीम कार्ट द्वारा दिए गए फैसले पर विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने मीडिया के सामने इस बात की जानकारी दी कि फैसले का विरोध नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, पांच एकड़ जमीन लेने के फैसले पर बोर्ड ने कहा कि जब हमें ऑफर की जाएगी तब निर्णय लेंगे। अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
वहीं, सुन्नी वक्फ बोर्ड की बैठक में सुप्रीम कार्ट द्वारा दिए गए फैसले पर विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारुकी ने मीडिया के सामने इस बात की जानकारी दी कि फैसले का विरोध नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, पांच एकड़ जमीन लेने के फैसले पर बोर्ड ने कहा कि जब हमें ऑफर की जाएगी तब निर्णय लेंगे। अभी इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।