बरेली। अयोध्या मामले में उलमा की राय है कि रिव्यू पिटीशन की आवश्यकता नहीं है। साथ ही पांच एकड़ जमीन लेने में भी कोई हर्ज नहीं है।
इन दिनों अयोध्या मुद्दे पर तमाम जगहों पर मुस्लिम संगठनों की अलग अलग बैठकों का दौर चल रहा है। इसी संदर्भ में आल इंडिया उलमा-ए-इस्लाम ने दिल्ली स्थित हजरत निजामुद्दीन की दरगाह पर दो दिवसीय मशावरती इजलास के नाम से गत दिवस बैठक हुई। इसमें विभिन्न राज्यों से आए उलमा, बुद्धिजीवियों और स्कालर्स सहित बरेली के भी उलमा व बुद्धिजीवी शामिल हुए। इसकी अध्यक्ष मलवारी (केलरा) से आए ग्रांड मुफ्ती ऑफ इंडिया अल्लामा शेख अबु वक्र अहमद ने की।
इस बैठक से लौट कर आए तंजीम उलमा इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने बैठक में पास हुए छह प्रस्तावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रिव्यू पिटीशन पर यह राय बनी है कि इस तरह के फैसलों में किसी को भी रीव्यू पिटीशन में कामयाबी नहीं मिली है। इस लिए सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड लखनऊ और बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी के फैसले पर सहमति जताई गई। पांच एकड़ जमीन पर तय किया गया कि इसे ले लिया जाना चाहिए और उस जगह पर इस्लामिक सेंटर, मुस्लिम बच्चों की शिक्षा और जन कल्याण के कामों के लिए इस्तेमाल किया जाए।
इसके अलावा यह भी तय किया गया कि देश के मुसलमानों की तालीमी, आर्थिक और सामाजिक सुधार के एजेंडे पर काम किया जाए। पिछड़े जिलों की पहचान कर मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में इंग्लिश मीडियम के पब्लिक स्कूल खोले जाएं। वहीं कादियानी फिरके की बढ़त को रोकने के लिए प्रचार टीम तैयार करने और पूरे देश में 10 लाख पेड़ लगाए जाने का फैसला लिया गया। इसमें पौधा रोपण की शुरुआत हो चुकी है।