स्कूल भी था, स्टूडेंट्स भी थे, जिज्ञासाएं भी थीं और सवालों के जवाब भी, पर कुछ बदली हुई सी थी ये क्लास। कोई कॉपी-किताब नहीं, बस सुनना और सुनाना। एक तरफ छात्र-छात्राएं जमा थीं, तो टीचर की भूमिका में थे, पुलिस अधीक्षक यातायात श्रवण कुमार सिंह। न मैथ के सवाल थे, न साइंस के सवाल, ये कक्षा थी अपराजिता 100 मिलियन स्माइल्स के तहत पुलिस की पाठशाला का।
अपराजिता 100 मिलियन स्माइल: रुकावटों का मुकाबला करें और खुद को साबित करें