प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और मिर्जापुर की अपना दल सांसद अनुप्रिया पटेल के खिलाफ दाखिल चुनाव याचिका पर सुनवाई का निर्णय लिया है। कोर्ट ने याचिका विलंब से दाखिल करने को लेकर की गई आपत्ति खारिज करते हुए इस पर तीन सप्ताह में उनसे जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 17 दिसंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल ने रामचरन की चुनाव याचिका पर दिया है।
अनुप्रिया की ओर से याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की गई, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया है कि याचिका काल बाधित नहीं है। पटेल की तरफ से अधिवक्ता केआर सिंह का कहना था कि याचिका दाखिल करने की अंतिम तिथि सात जुलाई 2019 थी। आठ जुलाई 2019 को याचिका दाखिल की गई। दाखिले में एक दिन की देरी होने के कारण याचिका निरस्त की जाए।
कोर्ट ने कहा कि महानिबंधक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सात जुलाई को रविवार था। इस दिन अवकाश होने के कारण 8 जुलाई को चुनावी याचिकाएं स्वीकार की गई हैं। कोर्ट ने कहा कि रविवार अवकाश का दिन होने के कारण सोमवार 8 जुलाई को दाखिल याचिकाओं को यह नहीं कहा जा सकता कि कालबाधित हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि सात जुलाई को भी चुनाव याचिकाएं दाखिल की गई थीं। चुनाव याचिका परिणाम घोषित होने के 45 दिन के भीतर दाखिल किए जाने का नियम है। अंतिम तारीख को अवकाश के कारण कोर्ट खुलने पर दाखिल याचिका कालबाधित नहीं मानीं जा सकती। कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी पर किसी प्रकार के कदाचार का आरोप नहीं लगाया गया है। ऐसे में उन्हें पक्षकार बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने चुनाव अधिकारी को याचिका में पक्षकार से हटाने की अर्जी स्वीकार कर ली है।
अनुप्रिया की ओर से याचिका की ग्राह्यता पर आपत्ति की गई, जिसे कोर्ट ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया है कि याचिका काल बाधित नहीं है। पटेल की तरफ से अधिवक्ता केआर सिंह का कहना था कि याचिका दाखिल करने की अंतिम तिथि सात जुलाई 2019 थी। आठ जुलाई 2019 को याचिका दाखिल की गई। दाखिले में एक दिन की देरी होने के कारण याचिका निरस्त की जाए।
कोर्ट ने कहा कि महानिबंधक की रिपोर्ट में कहा गया है कि सात जुलाई को रविवार था। इस दिन अवकाश होने के कारण 8 जुलाई को चुनावी याचिकाएं स्वीकार की गई हैं। कोर्ट ने कहा कि रविवार अवकाश का दिन होने के कारण सोमवार 8 जुलाई को दाखिल याचिकाओं को यह नहीं कहा जा सकता कि कालबाधित हैं। इससे फर्क नहीं पड़ता कि सात जुलाई को भी चुनाव याचिकाएं दाखिल की गई थीं। चुनाव याचिका परिणाम घोषित होने के 45 दिन के भीतर दाखिल किए जाने का नियम है। अंतिम तारीख को अवकाश के कारण कोर्ट खुलने पर दाखिल याचिका कालबाधित नहीं मानीं जा सकती। कोर्ट ने कहा कि निर्वाचन अधिकारी पर किसी प्रकार के कदाचार का आरोप नहीं लगाया गया है। ऐसे में उन्हें पक्षकार बनाए जाने का कोई औचित्य नहीं है। कोर्ट ने चुनाव अधिकारी को याचिका में पक्षकार से हटाने की अर्जी स्वीकार कर ली है।