अबकी छह सेक्टर में बसेगा मेला
प्रयागराज। इस बार माघ मेला छह सेक्टर में बसाया जाएगा। नया सेक्टर अरैल में होगा। संगम नोज पर जगह कम होने की अरैल तथा झूंसी की तरफ मेला का विस्तार किया गया है। ऐसे में तीन दर्जन से अधिक संस्थाओं को भी नोज के बजाय किसी और सेक्टर में जमीन दी जाएगी।
गंगा में कटान की वजह से संगम किला की तरफ बढ़ गया है। इसके अलावा इस बार स्नानार्थियों की संख्या में इजाफा की भी उम्मीद है। ऐसे में किसी हादसा से निपटने एवं स्नानार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते संगम घाट के पास सर्कुलेटिंग एरिया में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया है। इससे संगम नोज पर बनने वाले सेक्टर एक में जमीन कम हो गई है। इसलिए इस क्षेत्र में बसने वाली कई संस्थाओं को झूंसी तथा अरैल की तरफ जगह देने की योजना बनाई गई है। मेला क्षेत्र में तैनात एक अफसर के अनुसार ऐसी तीन दर्जन से अधिक संस्थाओं की सूची तैयार की गई है। हालांकि इसमें ज्यादातर सरकारी विभाग शामिल हैं। सिटी मजिस्ट्रेट रजनीश मिश्रा का कहना है कि बसने वाले मेला को सेक्टर छह नाम दिया गया है। अरैल में हर साल मेला बसता रहा है। अरैल का पूरा क्षेत्र सेक्टर छह में होगा।
संगम के दोनों तरफ सेक्टर-एक बसाने की चर्चा
सेक्टर एक में जमीन कम होने की वजह से इसका विस्तार संगम के दोनों तरफ यानी, संगम नोज के अलावा झूंसी में भी किए जाने की चर्चा रही। सेक्टर एक में बसने वाली 40 संस्थाओं को सेक्टर एक के अंतर्गत ही झूंसी की तरफ जमीन दिए जाने की भी चर्चा रही। हालांकि, अफसरों ने इससे इंकार किया है। अफसरों का कहना है कि पिछले वर्ष सेक्टर वन-ए अरैल की तरफ ही था। ऐसे में अरैल नया सेक्टर बनाए जाने के बाद गलतफहमी बन गई है कि सेक्टर एक का विस्तार संगम के दोनों तरफ किया जा रहा है। सिटी मजिस्ट्रेट का कहना है कि संगम नोज ही सेक्टर एक होगा। इसी तरफ सेक्टर दो होगा। झूंसी की तरफ सेक्टर तीन, चार और पांच होंगे। वहीं अरैल में सेक्टर छह बसाया जाएगा।
तीन से शुरू हो जाएगी जमीन आवंटन की प्रक्रिया
0 तीन दिसंबर से जमीन के आवंटन की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। स्नानार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखकर सड़क के दोनों तरफ तथा घाट के पास खाली भूखंड का क्षेत्र बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा बाढ़ की वजह से कई जगहों पर अब भी दलदल की स्थिति है। इसे ध्यान में मेला क्षेत्र की पैमाइश की जा रही है। अफसरों का कहना है कि तीन दिसंबर तक यह प्रक्रिया पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद संस्थाओं को जमीन आवंटन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।