आयुष्मान जन आरोग्य योजना को झटका, मेरठ के तीन अस्पताल मेडिकल ऑडिट में फेल

सभी को सस्ता और सुलभ इलाज उपलब्ध कराने के लिए लांच की गई आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को झटका लग रहा है। मरीजों को सभी सुविधाओं से युक्त इलाज का दावा करने वाले अस्पताल मानकों पर फेल हो गए हैं।



भारत सरकार की नेशनल फ्रॉड यूनिट के मेडिकल ऑडिट में आनंद अस्पताल, जगदंबा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल और अपुस नोवा मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में कई अनियमितता मिली हैं। लखनऊ से मुख्य कार्यपालक अधिकारी के आदेश पर जिलाधिकारी ने इसकी जांच सीडीओ और सीएमओ को सौंप दी है।
24 से 25 अक्तूबर तक जिले में आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए नेशनल फ्रॉड यूनिट ने विभिन्न चिकित्सालयों का निरीक्षण किया था। इस ऑडिट में अस्पतालों में मरीजों को दी जाने वाली सुविधाएं, अस्पताल द्वारा की गई घोषणाओं की जांच की गई। लेकिन तीन अस्पतालों में ऑडिट में इनमें अनियमितताएं मिलीं।
मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने अपने ई-मेल में अस्पतालों की अनियमितताओं को विस्तार से बताया है। वहीं, जिलाधिकारी को निर्देश दिए हैं कि अगर दोबारा भी ये अस्पताल सुधार नहीं कर पाते हैं तो इन्हें चिकित्सालयों को सूची से निकाल दिया जाए।


ये मिली खामियां
आनंद अस्पताल 

इस अस्पताल में निरीक्षण के दौरान मात्र 200 बेड ही मिले लेकिन 350 बेड की घोषणा की हुई थी। वहीं, स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्वालिटी काउंसिल की निगरानी करने वाली एनएबीएच प्रमाणपत्र की वैधता खत्म हो गई थी। इसके लिए नेशनल हेल्थकरियर एसोसिएशन को सूचित नहीं किया गया।
इसके अलाव निरीक्षण के समय सिर्फ एक आरएमओ ही मौजूद था। आईसीयू में वेंटीलेंटर पर दो मरीज थे लेकिन यहां किसी भी आरएमओ की तैनाती नहीं मिली। पैथोलॉजी में कूड़े के निस्तारण के लिए कोई सिस्टम मौजूद नहीं था। प्रधानमंत्री जनआरोग्य योजना की अस्पताल में कोई सूचना मरीजों को नहीं दी जा रही।
जगदंबा अस्पताल
इस अस्पताल में बेड की क्षमता 50 है लेकिन 100 बेड की क्षमता की हुई है। प्रधानमंत्री जन-आरोग्य योजना की जानकारी के लिए द्वितीय तल पर हेल्प डेस्क बनाया हुआ था जो कि मरीजों के लिए उपयोगी नहीं है। मरीजों के रिकॉर्ड की स्थिति भी संतोषजनक नहीं पाई गई। अस्पताल के वार्ड में सिरींज, बोतल आदि वस्तुएं फर्श पर ही पड़ी हुईं थीं।
अपुस नोवा अस्पताल
इस अस्पताल में निरीक्षण के समय दोपहर तक आईसीयू बिना आरएमओ डॉक्टर के संचालित हो रहा था। जनरल वार्ड में मरीजों की संख्या अधिक थी। अस्पताल में बॉयोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति बेहद खराब थी।