आपसी सहयोग से ही होगा बेसिक शिक्षा का कायाकल्प: राज्यपाल आनंदी बेन पटेल

राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि कोई भी सरकार चाहे जितना पैसा खर्च करे लेकिन आमजन के सहयोग के बिना वह प्राथमिक शिक्षा के स्तर को ऊंचा नहीं उठा सकती। उन्होंने माना कि प्राथमिक की अपेक्षा सरकारें उच्च शिक्षा पर ज्यादा पैसा खर्च कर रही हैं। वे बुधवार को शहर के पं. राम नरेश त्रिपाठी सभागार में आयोजित शिक्षा जागृति अभियान में मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रही थीं।



प्राथमिक विद्यालयों को गोद लेकर उसकी दशा एवं शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने का संकल्प पत्र भरने वालों की राज्यपाल ने हौसलाअफजाई करते हुए उनके कार्य की सराहना की। इसके बाद बेसिक शिक्षा में सुधार के संबंध में प्राथमिक विद्यालयों व अभिभावकों के लगाव के गुजरात से जुड़े कई संस्मरण सुनाए। उन्होंने विद्यालयों से अभिभावकों के खत्म होते जुड़ाव पर नाखुशी जाहिर की। कहा कि प्राथमिक शिक्षा के प्रति अभिभावक अपनी दायित्व भूल गए हैं। बेहतरी के लिए वे सिर्फ सरकार की जिम्मेदारी मान बैठे हैं।
राज्यपाल ने गुजरात की शिक्षा मंत्री रहते हुए विद्यालय में निजी खर्च पर सुधार करने व कक्ष बनवाने वालों के पूर्वजों का नाम अंकित कराने की व्यवस्था की जानकारी देते हुए कहा कि यहां भी ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए। घर का काम स्कूल में निपटाने वाली खासकर महिला शिक्षकों को सुधार की नसीहत देते हुए स्कूलों के भवन (दीवार, फर्श, छत) निर्माण को ज्ञानवर्द्धक बनाए जाने पर जोर दिया।


नरेंद्र मोदी के आने के बाद तेजी से हुआ परिवर्तन



राज्यपाल ने कहा कि नरेंद्र मोदी के आने के बाद तेजी से परिवर्तन हुआ है। योजनाओं की हकीकत परखने के लिए मोदी ने मंत्रियों को गांव भेजना शुरू किया। इससे सरकार के कार्य गांव तक पहुंचने लगे। राज्यपाल ने कहा कि छोटे बच्चों को भी टूर पर भेजना चाहिए। टूर पर जाने से बच्चों का विकास होता है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद सूबे के बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ. सतीश द्विवेदी ने प्राथमिक शिक्षा में सुधार के लिए शुरू किए गए किचन गार्डन, कायाकल्प, सुबह प्रार्थना सभा के बाद व्यायाम समेत अन्य योजनाओं को गिनाया। पहली बार बेसिक शिक्षा विभाग की राष्ट्रीय संगोष्ठी जनवरी में आयोजित होने जा रही है लेकिन अभिभावकों के सहयोग के बिना सुधार संभव नहीं है। उन्होंने अभिभावकों को स्कूलों में जाने के लिए प्रेरित किया। कहा कि स्कूल जाने से अभिभावकों को अपने बच्चों के खामियों की भी जानकारी मिल जाती है। महिलाएं किचन का निरीक्षण करेंगी तो उससे गुणवत्ता में सुधार आएगा।