मधुमेह व एचआईवी के साथ गर्भवती महिलाओं की होगी टीबी की  भी जांच    टीबी को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने उठाया कदम 


 मेरठ, 6 अगस्त, 2019। देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने के प्रधानमंत्री के संकल्प के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने भी टीबी से जंग छेड़ दी है। विभाग का सबसे ज्यादा प्रयास यह है कि कैसे टीबी की समय से पहचान हो ताकि समय से उपचार शुरू कर उस पर काबू पाया जा सके। 
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. महावीर सिह फौजदार ने बताया कि जल्दी पहचान और जल्द उपचार शुरू करने के लिए अब गर्भवती महिलाओं की टीबी की भी जांच की जाएगी। अब तक गर्भवती महिलाओं की केवल मधुमेह और एचआईवी की जांच की जाती थी, अब गर्भवती महिलाओं की टीबी की भी जांच की जाएगी,जिससे समय से उपचार शुरू किया जा सके और मां और बच्चे, दोनों को बचाया जा सके। इसके लिये विभाग की ओर से प्रचार व प्रसार किया जा रहा है 


उन्होंने बताया कि  टीबी की बीमारी जीवाणु के कारण होती है और यह खांसने और सांस के जरिए फैलती है। गर्भवती महिलाओं में सबसे ज्यादा फेफड़ों की टीबी होती है। गर्भवती महिला को टीबी होने की स्थिति में उसे पहचानना इसलिए भी मुश्किल हो जाता है क्योंकि गर्भधारण करते समय महिलाओं को जो परेशानियां होती हैं वही परेशानी टीबी होने पर होती है जैसे जी मिचलाना, बुखार महसूस होना और वजन गिरना। उन्होंने बताया कि यदि समय से टीबी की पहचान हो जाए और पूरा उपचार किया जाए तो मां और बच्चे को इस रोग से मुक्त किया जा सकता है लेकिन उपचार में लापरवाही भारी पड़ सकती है।


  टीबी होने पर हो सकता है गर्भपात 


 जिला महिला अस्पताल की प्रमुख अधीक्षका  डा मनीषा वर्मा  का कहना है कि गर्भवती महिला को टीबी होने पर गर्भपात हो सकता है, कई बार शिशु गर्भ में ही दम तोड़ देता है। इसके अलावा बच्चे का विकास प्रभावित हो सकता है या फिर ऐसे बच्चे की जन्म के बाद मृत्यु हो सकती है।