क्या है शिमला समझौता, जम्मू-कश्मीर मामले पर इसी की दुहाई दे रहा है पाकिस्तान

खास बातें



  • जम्मू-कश्मीर मामले में बार-बार शिमला समझौते का नाम ले रहा है पाकिस्तान

  • पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने कहा- हम शिमला समझौते की कानूनी वैधता को परखेंगे

  • संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने शिमला समझौते का हवाला देते हुए मध्यस्थता ने मना किया



 

जम्मू-कश्मीर में भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद से ही पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस ट्रेन को भी पाकिस्तान ने रोक दिया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि उनका देश शिमला समझौते की कानूनी वैधता को परखेगा। वहीं, संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने भी शिमला समझौते का जिक्र करते हुए दोनों देशों के बीच मध्यस्थता से इनकार कर दिया।


 



अब सवाल है कि ये शिमला समझौता है क्या, जिसकी पाकिस्तान बार-बार दुहाई दे रहा है? इसका नाम लेकर पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार द्वारा लिए गए फैसले को वापस लेने की बात कर रहा है। आगे हम आपको बता रहे हैं कि ये शिमला समझौता (Shimla Agreement) कब हुआ और इसकी खास बातें क्या हैं।


कब हुआ शिमला समझौता



1971 में भारत-पाक युद्ध के बाद उनके 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को युद्ध बंदी बनाया गया था। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में सुधार, पाक युद्ध बंदियों को छुड़ाने की कवायद शुरू हुई। फिर दोनों देशों के बीच बेहतर संबंध के लिए 2 जुलाई 1972 को शिमला में एक समझौता हुआ। इसी समझौते को शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है।

किसने किए हस्ताक्षर: शिमला समझौते पर भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे। 

क्या कहता है शिमला समझौता, जानें इसकी अहम बातें





दोनों देशों ने इस समझौते के जरिए आपसी संबंधों को बेहतर करने, शांति बनाए रखने और एक दूसरे का सहयोग करने का संकल्प लिया था। इसके लिए दोनों देशों के बीच कुछ बातों पर सहमति बनी थी। वो बातें यहां दी गई हैं...




  • दोनों देशों ने 17 सितंबर 1971 को युद्ध विराम के रूप में मान्यता दी। तय हुआ कि इस समझौते के 20 दिनों के अंदर दोनों देशों की सेनाएं अपनी-अपनी सीमा में चली जाएंगी।

  • यह भी तय हुआ कि दोनों देशों/सरकारों के अध्यक्ष भविष्य में भी मिलते रहेंगे। संबंध सामान्य बनाए रखने के दोनों देशों के अधिकारी बातचीत करते रहेंगे।

  • दोनों देश सभी विवादों और समस्याओं के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सीधी बातचीत करेंगे। तीसरे पक्ष द्वारा कोई मध्यस्थता नहीं की जाएगी।

  • यातायात की सुविधाएं स्थापित की जाएंगी। ताकि दोनों देशों के लोग आसानी से आ-जा सकें।

  • जहां तक संभव होगा, व्यापार और आर्थिक सहयोग फिर से स्थापित किए जाएंगे।