हर्षोल्लास के साथ मस्जिद इमामिया में मनाई गई ईदे ग़दीर "इस्लामी तारीख़ में सबसे बड़ी ईद ईदे ग़दीर है " नबी ने अपने बाद के लिए अली को हाकिम ऐलान किया-मौ.मो.रज़ा  " दीन ए ख़ुदा ए हक़ भी मुकम्मल हुआ है आज,आयात ने ये आके बताया ग़दीर में "
बाराबंकी।हर्षोल्लास के साथ मस्जिद इमामिया में मनाई गई ईदे ग़दीर।सबने गले मिलकर एक दूसरे को दी मुबारकबाद बांटी मिठाई ,हुआ नज़रों  ।महफ़िल की सदारत वरिष्ठ कांग्रेसी नेता चचाअमीर हैदर एडवोकेट ने की।संचालन का काम कलीम आज़र ने किया।महफ़िल को खिताब करते हुए आली  जनाब मौलाना मो.रज़ा ने कहा इस्लामी तारीख़ में व आइम्मा ए मासूमीन की नज़र में सबसे बड़ी ईद को ईदे ग़दीर कहते हैं। आज ही के दिन दीन मुकम्मल हुआ ।आज ही के दिन नबी ने अली को अपनें बाद के लिए हाकिम ऐलान किया।मौलाना ने यह भी कहा जो हुकूमते सिस्टम से चलती हैं वो हमेशा बाक़ी रहती हैं।यही वजह है कि 1400 वर्षों के बाद भी दीने मोहम्मदी पूरी दुनियां में कामयाबी के साथ बाक़ी है।आज भी उसका कानून जैसे का तैसा है।खु़दा के बनाये का़नून में तब्दीली नहीं होती।महफिल में नज़रानये अक़ीदत पेश करते हुए दानिश रामपुरी ने पढ़ा-मुझे ले चलो तुम दयारे नजफ़ में, सुना है वहां हर मरज़ की दवा है।अजमल किन्तूरी ने पढ़ा-जाहिलों से इल्म के दर का तक़ाबुल क्यों करें,चन्द क़तरे ले नहीं सकते समन्दर की जगह । आरिज़ जरगांवी ने पढ़ा- रोक कर ख़ुम के मैंदां मेंसबको, हुक्मे बारी हुआ है नबी को ।वादा मेराज में जो हुआ था,आज सबको बता दीजिये ।मौ.मो.रज़ा ज़ैदपुरी ने पढ़ा-कौन कहता है भला एक रात पिन्हा है ग़दीर,मिस्ले क़ुरआं सारे आलम में नुमाया है ग़दीर ।कलीम रिज़वी ने पढ़ा-अली के चाहने वाले बहुत भी है कम भी, अज़ब दयार में रहते है दोस्तों हम भी ।  बाकर नक़वी ने पढ़ा-सबके दिल में इश्क़े हैदर यूँ जगाना चाहिए,उनकी पाकीज़गी को आज़माना चाहिए । हबीब हैदर ने पढ़ा-शौहरे बतूल मौला बना है ग़दीर में, एक पर्दा मसलहत  का उठा है ग़दीर में । सरवर अली रिज़वी ने पढ़ा-दीने खुदाए हक़ भी मुकम्मल हुआ है आज,आयात ने ये आके बताया ग़दीर में । इसके अलावा मजहर नक़वी,शबीह अहमद आब्दी,कामयाब सण्डीलवी,अदनान रिज़वी,अयान रिज़वी,गुलरेज,जाफर अब्बास,जाकिर इमाम, मीसम रज़ा,जईम काज़मी,ताहिर,फ़िरोज़ हैदर,अकबर अली,मो० अब्बास,फरासत व वजूद ने भी नज़रानये अकीदत पेश किया महफ़िल से पहले आमले ईद ए ग़दीर कराया गया बादे महफ़िल नज़रो नियाज़ का सिलसिला जारी हुआ एक दूसरे से गले मिलकर मुबारक बाद पेश की ।