भारत में साक्षरता दर 73 प्रतिशत हैं लेकिन यही साक्षरता दर अनुसूचित जाति में 66 प्रतिशत हैं

बाराबंकी 04 जुलाई - शिक्षा एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय हैं, भारत में साक्षरता दर 73 प्रतिशत हैं लेकिन यही साक्षरता दर अनुसूचित जाति में 66 प्रतिशत हैं उसमें भी 41 प्रतिशत प्राइमरी से भी कम शिक्षित हैं। केवल 15 प्रतिशत व्यक्ति ही प्राइमरी स्कूल तक जा सकते हैं। दलित समाज का उत्थान हो और वह शिक्षित हो इसके लिये शिक्षा के अधिकार कानून के अन्तर्गत दिये गये 25 प्रतिशत आरक्षण में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग को अलग से आरक्षण दिया जायें।
उक्त अनुरोध राज्यसभा सांसद डा0 पी0एल0 पुनिया ने आज राज्यसभा में विशेष उल्लेख के दौरान सदन के माध्यम से सरकार से किया। श्री पुनिया ने कहा कि दलित समाज के उत्थान एवं सशक्तिकरण के लिये बाबा साहब डाॅ.भीमराव अम्बेडकर ने सबसे अधिक महत्व शिक्षा को दिया था लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग सबसे पीछे खड़ा हैं क्योंकि इस वर्ग को हमेशा शिक्षा से वंचित रखा गया। शिक्षा नही मिलने के कारण दलित समाज की बड़ी आबादी दिहाड़ी पर मजदूरी करके अपना गुजर बसर कर रही हैं, सम्पूर्ण देश में अनुसूचित जाति के केवल 4 प्रतिशत परिवार ही सरकारी नौकरी में हैं जबकि 2.5 प्रतिशत परिवार प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे हैं।
सांसद श्री पुनिया ने कहा कि संविधान के आर्ट ।त्ज् 15 (5) में अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चों को शिक्षा में वरीयता देने की व्यवस्था हैं, शिक्षा का अधिकार कानून के सेक्शन 12 के अनुसार 2.5 प्रतिशत सीटें कमजोर वर्ग, वंचित वर्ग जिसमें आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा अनुसूचित जाति, जनजाति और अल्पसंख्यक परिवारों को बच्चों को दी गयी हैं और निजी व सरकारी विद्यालय इस कोटे में दलित आदिवासी बच्चों को दाखिला देने के लिये बाध्य नही हैं, इसलिये अनुसूचित जाति जनजाति के बच्चे शिक्षित हो उन्हें 25 प्रतिशत में अलग आरक्षण दिया जायें ये मेरा सरकार से अनुरोध हैं।