योग जीवन की मूलभूत आवश्यकता: ब्रम्हप्रिया

 मनुष्य यदि अपने आपको लम्बी उम्र तक स्वस्थ रखना चाहता है और लम्बी आयु तक जीवित रहना चाहता है तो नियमित अपने जीवन में योग को शामिल करना चाहिए | आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखे तो तन मन प्राण आत्मा सब शुद्ध-विशुद्ध होता है योग से | योग का अर्थ मिलन होता है| योगा फिर योग| योगा करने से हमारा शरीर स्वस्थ होता है | नाना प्रकार की होनेवाली बीमारियों से हम बच जाते हैं और यदि कोई व्यक्ति लम्बे समय से बीमार चल रहा हो और वो योगा प्राणायाम करना शुरू करे तो गंभीर से गंभीर बिमारियों से भी योग से निजात पाया जा सकता है| मोटापा भी आज के समय में मनुष्य के लिए अभिशाप बनता जा रहा है यदि नियमित योग हो तो मोटापे से भी हमे छुटकारा मिल सकता है| योग करना तन स्वस्थ करना, ध्यान के माध्यम से प्राण की ओर बढ़ना और तन-मन दोनों को शुद्ध कर प्राण आत्मा को धारण कर परमात्मा की ओर बढ़ जाना और पूर्ण रूपेण स्वस्थ और सुखी होना| यदि चाहिए निरोगी काया तो योग की ओर पूर्ण मन से बढ़ें| ये हमारे ऋषि-मुनियों की खोज है| वे योग में थे, लम्बी आयु प्राप्त करते थे, हम भोग में है और हर पल समाप्ति और नाना प्रकार के रोगों से युक्त.. तो आओ संकल्प लें- “योग को अपनाएंगे...स्वस्थ और सुखी जीवन पाएंगे...”
ब्रम्हप्रिया नम्रता कमलिनी ध्यान योग जन जाग्रति सेवा संस्थान