खजूरगांव के बदहाल गो आश्रय, का अंततः डीएम ने लिया संज्ञान देखरेख के अभाव में दम तोड़ रहे मवेशी 

बाराबंकी। जिले में लोगों के लिए मुशीबत बने आवारा और छुट्टा घूम रहे जानवरों को पकड़ कर सरकार द्वारा संचालित गोआश्रयों में रखे जाने वाले पशुओं की देखरेख और उचित ब्यवस्था न होने से लगातार मवेशियों तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे। गोआश्रय स्थलों में मवेशियों के लिए न तो छाए के लिए कोई ब्यवस्था हैं और न ही उनके खाने पीने के लिए ही उचित प्रबंध जिसके चलते दिन पर दिन मवेशी मर रहे हैं।
मामले का संज्ञान लेने के बाद डीएम आदर्श सिंह ने जांच करवाने के बाद कार्यवाही की बात कही हैं। जिला प्रशासन की ओर से संचालित गो आश्रयों स्थलों में रखे गए मवेशियों की हालत काफी दयनीय मिली। जनपद के ब्लॉक देवा अंतर्गत पहाड़पुर खजूर गाँव के गोआश्रय की हालत तो इन सभी गोआश्रयों में सबसे ज्यादा खराब आंकी गई। 
जहां के मवेशी खुले आसमान और कड़ी धूप में तड़प तड़प कर दम तोड़ रहे हैं गो आश्रय के नाम पर भले ही छुट्टा जानवरों को यहां रखा जाता हो। लेकिन हर दिन यहां दर्जनों जानवर दम तोड़ रहे हैं। मनरेगा योजनांतर्गत गौ आश्रय स्थल खजूरगांव में चारागाह की बेकार पड़ी जमीन पर विकास के नाम पर 13 लाख 36 हजार की लागत से पिछले 24 दिसम्बर 2018 से गो आश्रय का कार्य प्रारंभ कर चारो तरफ कटीले तार बधवा दिए। लेकिन अंदर की हालत बेहद खराब मिली। जिसमें ना तो यहां कोई बिजली कनेक्शन मिला और न ही हरे चारे और पानी की ही ब्यवस्था, और तो और गोआश्रय में किसी तरह का कोई रिकार्ड भी मेंटेन नही मिला, कि इसमें कितने मवेशियों को रखा गया हैं? कितनो की मौतें हुई हैं ? फिलहाल इस बदहाल गो आश्रय की रिपोर्ट डीएम के पास जब पहुँची तो उन्होंने जाँच के बाद कार्यवाही की बात कही हैं।