ग्राम प्रधान व परियोजना अधिकारी, सचिव का खेल, व्यवस्था फेल Û ग्राम प्रधान, परियोजना अधिकारी व सचिव की सांठ-गांठ से डेढ वर्ष बाद भी महिला को नही मिला प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ।

Û परियोजना अधिकारी, सचिव व ग्राम प्रधान पीडिता से मांग रहे 20 हजार रू0, एक ही दिन में लगी पात्र व अपात्र की दो रिपोर्ट।
Û अधिकारियों के चक्कर काट मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कार्यवाही के आदेश, डीएम ने दिये जांच के निर्देश, मुख्य विकास अधिकारी ने नही की कोई कार्यवाही
Û भाजपा कैबिनेट मंत्री ने भी पत्र लिखकर सख्त कार्यवाही के दिये थे निर्देश, डेढ वर्ष बाद भी पीडत परिवार को नही मिल सका लाभ, धमका रहा ग्राम प्रधान।
Hari Om Gupta
कानपुर नगर, प्रधानमंत्री आवास योजना के अतंर्गत पहले एक व्यक्ति को पहले पात्र और पैसा न मिलने पर अपात्र बनाया गया वह भी ग्राम प्रधान, परियोजना अधिकारी व सचिव की सांठ-गांठ पर, आवास योजना का लाभ दिलाने के लिए गरीब परिवार से 20 हजार की मांग की गयी और जब गरीब परिवार के रू0 देेन में बेबसी बतायी तो आज डेढ वर्ष बाद भी उन्हे लाभ प्राप्त नही हो सका। वहीं ग्राम प्रधान लगातार काम करने की एवेज में रू0 की मांग कर रहा है। व्यवस्था ऐसी कि शिकायत करने के बाद जांच के आदेशो, निर्देशो का सिलसिला तो शुरू हुआ लेकिन कार्यवाही के नाम पर कुछ नही हुआ और डेढ वर्ष बीतने के बाद भी गरीब का हाथ खाली है। मुख्य विकास अधिकारी ने पूरे मामले को समझा था और भ्रष्टाचार उनकी समझ में आया था उन्होने जांच के आदेश दिये थे लेकिन मामला सरकारी था सो रफा-दफा हो गया।
परियोजना अधिकारी सचिव व प्रधान की मांग पूरी न करना एक गरीब परिवार पर भारी पडा, नतीजा यह की आज डेढ वर्ष बाद भी उसे प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नही मिल पाया। शिकायत पर कई अधिकारियो ने कार्यवाही, जांच के निर्देश दिया हुआ तो कुछ नही बल्कि पीडित परिवार का गांव में रहना दूभर हो गया। पीडिता सीता पत्नी मुकेश निवासिनी ग्राम राजाराम पुर पो0 धनश्यापुर विकास खण्ड, चैबेपुर ने बताया कि उसका नाम प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में उनका नाम शामिल किया गया था लेकिन ग्राम प्रधान विनोद शुक्ला के इशारे पर परियोजना अधिकारी व सचिव ने उनका नाम काट दिया। एक ही दिन में पहले पात्रता की रिपोर्ट लगायी गयी बाद में अपात्र की। इस सम्बन्ध में मुख्य विकास अधिकारी ने जांच के आदेश दिया था वहीं सीडीओ ने कहा था कि एक ही दिन में हुए इस खेल की जांच आने पर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही होगी लेकिन बातें सिर्फ बांते ही रह गयी, पूरी तरह पंगु हो चुके सिस्टम में कुछ भी नही हुआ। पीडिता ने मुख्यमंत्री से शिकायत की तो मामला जिलाधिकारी तक पहुंचा, जिलाधिकारी ने जांच के आदेश दिये लेकिन बात फिर भी नही बनी उल्टा ग्राम प्रधान व सचिव यादव पीडिता को धमकाने उसके घर पहुंच गये, जबकि तब जब जिलाधिकारी ने परियोजना अधिकारी को उक्त योजना व सचिव को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री आवास उपलब्ध कराने की बात लिखी थी, लेकिन भ्रष्टतंत्र में कुछ नही हुआ। वर्तमान में स्थिति यह है कि पीडित आज भी पीडित है, अधिकारी अपना दायित्व निर्देश देकर पूरा कर चुके है। नीचे के अधिकारी बिना पैसों के काम नही कर रहे है, प्रधान ने पीडित परिवार का जीना हराम कर रखा है। पीडिता सीमा ने बताया कि प्रधान का कहना है कि कर कुछ भी लो बिना 20 हजार रू0 दिये तुम्हे योजना का लाभ नही मिलेगा। यह तो केवल एक तस्वीर है और न जाने कितने इसी प्रकार के प्रकरण अंधेरे में पडे होगे। योजनाऐ या सरकार के प्रयास तब सार्थक होगे जब हकदारों को उनका लाभ मिले लेकिन ऐसे भ्रष्ट प्रधान और अधिकारियों के हाथो को बांधने की भी आवश्यकता है। इस प्रकारण की पूरी जांच कराकर दोषीजनो को सख्त सजा मिलनी चाहिये।