बर्खास्त गुजरात-कैडर के आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 30 साल पुराने हिरासत में मौत के मामले में जामनगर की अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है
उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह भट्ट की याचिका पर 11 अतिरिक्त गवाहों की जांच की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। संजीव भट्ट इन गवाहों के बयानों को फिर से दर्ज कराना चाहते थे।
घटना के समय संजीव भट्ट जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, जामनगर में हुए दंगों में भट्ट ने लगभग 100 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से एक की मौत अस्पताल में उस समय हो गई जब उसे कैद से छोड़ा गया था।
इस आरोप में उन्हें साल 2011 में निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद वह बिना बताए अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित रहे थे। इस दौरान उन्होंने सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग किया था। अगस्त 2015 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।
उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह भट्ट की याचिका पर 11 अतिरिक्त गवाहों की जांच की मांग पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। संजीव भट्ट इन गवाहों के बयानों को फिर से दर्ज कराना चाहते थे।
घटना के समय संजीव भट्ट जामनगर में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के रूप में तैनात थे। अभियोजन पक्ष के अनुसार, जामनगर में हुए दंगों में भट्ट ने लगभग 100 लोगों को हिरासत में लिया था। इनमें से एक की मौत अस्पताल में उस समय हो गई जब उसे कैद से छोड़ा गया था।
इस आरोप में उन्हें साल 2011 में निलंबित कर दिया गया था। जिसके बाद वह बिना बताए अपनी ड्यूटी से अनुपस्थित रहे थे। इस दौरान उन्होंने सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग किया था। अगस्त 2015 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था।