67वर्षीय वृद्धा को नहीं मिल पाया सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ

सिरौलीगौसपुर, बाराबंकी। बाबूजी रहने को घर नहीं सोने को बिस्तर नहीं खाने को दाना नहीं टूटी फूटी झोपड़ी मे रह कर जीवन यापन करने को एक 67 वृद्धा  मजबूर है जिसे अधिकारियों की उदासीनता के चलते आज तक सरकार की किसी भी लोक कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है।
यह व्यथा ग्राम पंचायत मरौचा के मौजा संग्राम सिंह पुरवा में रहने वाली 67 वर्ष वृद्धा सूरसता पत्नी स्वर्गीय  पुनवासी की है जिसकी शादी 40 वर्ष पूर्व उसके पिता सुकई ने खिदरापूर निवासी पुनवासी के साथ किया था पति की मृत्यु के पश्चात 20 वर्ष पूर्व वह अपने मायके मरौचा के मजरे संग्राम सिंह पुरवा चली आई थी  मायके में इसके दो भाई रामसागर व रामनरेश थे जिन्होंने भी उसकी कोई सहायता नहीं किया।
जिस के संबंध में सूरसता बताती है कि सरकार की उसे किसी भी लोक कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिला है न तो उसके पास राशन कार्ड है न ही उसे  विधवा पेंशन मिली है और न ही कोई उसे सरकारी आवास ही अब तक मिल पाया है जो एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहकर भिक्षा मांगकर अपनी जिंदगी के क्षण गुजार रही है। 
उसके नाम से इसी ग्राम पंचायत का आधार कार्ड भी बना हुआ है चुनाव के समय वह बराबर मतदान करके  नई सरकार के गठन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है परंतु चुनाव जीतने के पश्चात किसी   भी जनप्रतिनिधि को उसका कुशल क्षेम जानने का समय नहीं मिल पाता है
एक ओर सरकार सबका साथ सबका विकास किए जाने के लिए कटिबद्ध है वही उसकी यह दुर्दशा शासन की मंशा पर सवालिया निशान लगा रही है क्यों ? उसके साथ सरकारी तंत्र के  द्वारा क्रूर मजाक किया जा रहा है ।
वह अपनी  करुण कथा का बखान करते हुए   कहती है साहब खाने को दाना नहीं पीने को कुछ नहीं इस तपती धूप में एकमात्र झोपड़ी का सहारा ही बचा है सड़क के किनारे गुजर-बसर करती हुई इस महिला का कोई पुरसाहाल नहीं है जिसके पास टूटी फूटी झोपड़ी के सिवा कुछ भी नहीं है चिलचिलाती धूप में बेचारी लाचारी और विवशता की करुण कथा सुनकर किसी भी पत्थर दिल इंसान का ह्रदय द्रवीभूत हो जाता है।