पिछली बार के मंत्रियों को दूसरे कार्यकाल में इसलिए नहीं मिला स्थान
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में इस बार सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और मेनका गांधी समेत आठ कैबिनेट मंत्रियों को नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया है। हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बाद बृहस्पतिवार को नरेंद्र मोदी ने लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। पीएम मोदी के साथ कैबिनेट के उनके दूसरे सहयोगियों ने भी शपथ ली। 
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में विदेश मंत्री रहीं सुषमा को इस बार कैबिनेट में शामिल नहीं किया गया। सुषमा के अलावा सात और कैबिनेट मंत्रियों को इस बार नई सरकार में जगह नहीं दी गई। इनमें अरुण जेटली, सुरेश प्रभु, मेनका गांधी, अनंत गीते, चौधरी बीरेंद्र सिंह, जुआल ओराम और राधा मोहन सिंह प्रमुख चेहरे हैं। महेश शर्मा, मनोज सिन्हा, राज्यवर्धन सिंह राठौर और अल्फोंस कनंनथम जैसे स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्रियों को भी नई सरकार में शामिल नहीं किया गया।

अरुण जेटली


शपथ ग्रहण से एक दिन पहले पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खुद को कोई भी जिम्मेदारी न देने का अनुरोध किया था। उन्होंने इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया था। उन्होंने चिट्ठी लिखकर उन्हें कोई भी जिम्मेदारी न देने के लिए कहा था। इसके बाद मोदी रात को 8:50 बजे जेटली के आवास पर उनसे मिलने के लिए पहुंचे थे और उनका हालचाल जाना था। मोदी लगभग आधे घंटे तक जेटली के पास रहे थे। उनकी बात का सम्मान करते हुए उन्हें नई कैबिनेट में कोई स्थान नहीं दिया गया है।

अनंत गीते


शिवसेना नेता अनंत गीते को 2019 के लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा। उन्हें एनसीपी के नेता सुनील ततकारे ने 31, 740 वोटों से हराया है। इसी कारण उनके स्थान पर मोदी कैबिनेट में अरविंद सावंत को शामिल किया गया है। इसकी वजह सहयोगी पार्टियों से केवल एक सांसद को मंत्रिमंडल में जगह मिली है।

सुषमा स्वराज


मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में बतौर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपनी कार्यक्षमता से देश दुनिया का दिल जीता। इसलिए खुद पीएम मोदी चाहते थे कि स्वराज इस बार भी इस जिम्मेदारी को निभाएं। हालांकि खराब स्वास्थ्य के कारण सुषमा इसके लिए तैयार नहीं हुईं।

खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए सुषमा ने पहले ही लोकसभा चुनाव से दूरी बना ली थी। हालांकि पीएम मोदी की ओर से सुषमा को मनाने की लगातार कोशिश हुई, मगर खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए उन्होंने अपनी असमर्थता जता दीं। जाहिर तौर पर फिर आनन फानन भारतीय विदेश सेवा के तेज तर्रार अधिकारी और पूर्व विदेश सचिव एस जयशंकर का नाम विदेश मंत्री के रूप में तय किया गया।