समारोह ट्रस्ट द्वारा 13 अप्रेल को प्रातः 11 बजे गांधी भवन में
प्रार्थना सभा आयोजित की गई है। इसके बाद शाम को आलापुर स्थित रेट नदी
में दीपदान करके शहीदों की श्रद्धांजलि दी जाएगी। उक्त जानकारी गांधी
ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने दी। श्री शर्मा ने बताया कि अंग्रेजों
ने भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए सिडनी रोलेट की
अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। जिसकी सिफारिशों पर एक कानून बना।
जिसका नाम रोलेट एक्ट दिया गया। इस कानून के तहत अंग्रेजों ने खुद से यह
अधिकार हासिल कर लिया था कि पुलिस किसी भी समय किसी भी व्यक्ति को शक के
आधार पर गिरफ्तार कर अदालत में मुकदमा चलाए बिना जेल भेज सकती थी।
अग्रेजों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले सैफुद्दीन और डॉ
सत्यपाल को गिरफ्तार के जेल भेज दिया। इसी घटना का विरोध शांतिपूर्ण ढंग
से करने के लिए जलियांवाला बाग में हजारों स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े
इकट्ठा हुए थे। अमृतसर में तैनात अंग्रेजों के जनरल डायर ने
निर्दोष-निहत्थे लोगों पर तीन ओर से गोलियां चलवायीं थी। इस हत्याकांड
में 400 से अधिक निर्दोषों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 2000 से अधिक
घायल हुए थे। इस घटना का स्वतंत्रता संग्राम पर खासा असर हुआ था और यह
घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। जलियांवाला बाग
हत्याकाण्ड का बदला ऊधम सिंह ने लंदन में 13 मार्च 1940 को जनरल डायर की
हत्या से लिया था।
श्री शर्मा ने उक्त आयोजन में शामिल होने और श्रद्धा सुमन अर्पित करने की
लोगों से अपील की है।
प्रार्थना सभा आयोजित की गई है। इसके बाद शाम को आलापुर स्थित रेट नदी
में दीपदान करके शहीदों की श्रद्धांजलि दी जाएगी। उक्त जानकारी गांधी
ट्रस्ट के अध्यक्ष राजनाथ शर्मा ने दी। श्री शर्मा ने बताया कि अंग्रेजों
ने भारत में उभर रहे राष्ट्रीय आंदोलन को कुचलने के लिए सिडनी रोलेट की
अध्यक्षता में एक समिति गठित की थी। जिसकी सिफारिशों पर एक कानून बना।
जिसका नाम रोलेट एक्ट दिया गया। इस कानून के तहत अंग्रेजों ने खुद से यह
अधिकार हासिल कर लिया था कि पुलिस किसी भी समय किसी भी व्यक्ति को शक के
आधार पर गिरफ्तार कर अदालत में मुकदमा चलाए बिना जेल भेज सकती थी।
अग्रेजों ने सरकार के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले सैफुद्दीन और डॉ
सत्यपाल को गिरफ्तार के जेल भेज दिया। इसी घटना का विरोध शांतिपूर्ण ढंग
से करने के लिए जलियांवाला बाग में हजारों स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े
इकट्ठा हुए थे। अमृतसर में तैनात अंग्रेजों के जनरल डायर ने
निर्दोष-निहत्थे लोगों पर तीन ओर से गोलियां चलवायीं थी। इस हत्याकांड
में 400 से अधिक निर्दोषों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी और 2000 से अधिक
घायल हुए थे। इस घटना का स्वतंत्रता संग्राम पर खासा असर हुआ था और यह
घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। जलियांवाला बाग
हत्याकाण्ड का बदला ऊधम सिंह ने लंदन में 13 मार्च 1940 को जनरल डायर की
हत्या से लिया था।
श्री शर्मा ने उक्त आयोजन में शामिल होने और श्रद्धा सुमन अर्पित करने की
लोगों से अपील की है।