मथुरा वासियों के लिए रविवार का दिन शहर में सितारों के मेले का दिन रहा। हेमा मालिनी मथुरा लोकसभा सीट से दूसरी बार मैदान में हैं और उनके लिए प्रचार की कमान संभाली उनके पति और मशहूर अभिनेता धर्मेंद्र ने। धर्मेंद्र का यूं प्रचार करना बेवजह नहीं था। इसके पीछे वोट-गणित का पूरा खेल छिपा था।
धर्मेंद्र और जाट वोटों का समीकरण
हेमा मालिनी तमिल अयंगर ब्राह्मण हैं। और धर्मेंद्र हैं फगवाड़ा से आने वाले पंजाबी जट या कहें जाट। उनका 'जट यमला, पगला, दीवाना' अवतार करोड़ों दर्शकों पर राज करता रहा है। अब आइए मथुरा पर। तो मथुरा वो लोकसभा सीट है जहां जाटों की आबादी अच्छी-खासी है। एक अनुमान के मुताबिक इस सीट पर करीब साढ़े चार लाख जाट वोट हैं। इनमें भी धर्मेंद्र की जनसभाओं के लिए जो तीन विधानसभा क्षेत्र चुने गए, वो जाट बहुल हैं। पहली सभा, गोवर्धन क्षेत्र की खूंटैल पट्टी के सौंख इलाके में, दूसरी बलदेव विधानसभा क्षेत्र में और तीसरी रही मांट विधानसभा क्षेत्र में।
लगता है धर्मेंद्र को इन सारे समीकरणों की जानकारी पहले ही दे दी गई थी। तभी तो उनके भाषणों में ये साफ नजर भी आया। धर्मेंद्र ने लोगों को अपने बचपन के कहानी के जरिए जोड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा,
'जब मैं चार साल का था, तब देश में अंग्रेजों का राज था। पिताजी खेती करते थे और स्कूल में पढ़ाते भी थे। यह नौकरी उन्हें अंग्रेजों ने दी थी। मां अपने बेटे को देशभक्त बनाना चाहती थी, इसलिए मेरे हाथों में तिरंगा दे देती थी। मैं सड़कों पर दौड़ता और इंकलाब जिंदाबाद के नारा लगाता। शाम को बाबूजी घर आते तो मां को डांटते कि अंग्रेजों को पता चल जाएगा तो मेरी नौकरी चली जाएगी। मां कहती, नौकरी कल जाती हो तो आज जाए, पर मैं अपने बेटे को देशभक्त जरूर बनाऊंगी। आज हर जाट में यही जज्बा है। वो खेत में काम कर लेता है तो जरूरत पड़ने पर सिर पर कफन बांध कर देश के लिए अपने प्राण देने भी चल पड़ता है।'