आतंकियों को धन मुहैया कराने के मामले में यासीन मलिक गिरफ्तार, 22 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेजा

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों और अलगाववादी समूहों को धन मुहैया कराने के मामले में जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को बुधवार को दिल्ली की अदालत में पेश किया। मलिक को विशेष न्यायाधीश राकेश स्याल की अदालत में पेश किया गया


कोर्ट ने यासीन मलिक को 22 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया है। आपको बता दें कि एनआईए की विशेष अदालत के जांच एजेंसी को उसे हिरासत में लेकर पूछताछ करने का आदेश देने के बाद मलिक को मंगलवार शाम राष्ट्रीय राजधानी लाया गया था।
जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख को पुलिस संरक्षा में तिहाड़ जेल ले जाया गया। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने फरवरी में भी उसे एहतियाती तौर पर हिरासत में लेकर जम्मू जेल में स्थानांतरित कर दिया गया था।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने सीबीआई की तीन दशक पुराने उस मामले पर दोबारा सुनवाई करने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसमें मलिक आरोपी है। 



जेकेएलएफ प्रमुख पर तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का 1989 में अपहरण करने और 1990 के शुरुआती दौर में भारतीय वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या में शामिल होने का आरोप है। 
एनआईए ने जम्मू की विशेष अदालत का रुख कर आतंकवाद के वित्तपोषण मामले में मलिक को हिरासत में लेकर जांच करने की मांग की थी। एनआईए की जांच का मकसद आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण, सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूलों को जलाने और सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने में शामिल लोगों की पहचान करना है।
इस मामले में पाकिस्तान स्थित जमात-उद-दावा के प्रमुख हाफिज सईद का भी नाम शामिल है, जिसे प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित माना जाता है। इसमें सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक वाले हुर्रियत कांफ्रेंस के गुट, हिजबुल मुजाहिदीन और दुख्तरान-ए-मिल्लत के नाम शामिल हैं।जेकेएलएफ को हाल में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत प्रतिबंधित किया गया था।