जिसे आप गठिया समझ रहे कहीं वो कुष्ठ रोग तो नहीं, ऐसे पहचानें

गठिया रोग की शक्ल में लोगों में कुष्ठ की बीमारी हो रही है। केजीएमयू में इस तरह से मरीज लगातार मिल रहे हैं। हालत यह है कि यहां आने वाले नए मरीजों में हर दिन कुष्ठ रोग के दो से तीन मरीज मिल रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए यहां के रेजिडेंटों को गठिया के साथ ही कुष्ठ रोग के इलाज का प्रशिक्षण दिया जा रहा 



केजीएमयू के गठिया रोग विभागाध्यक्ष प्रो. अनुपम वाखलू ने बताया कि गठिया जैसी बीमारी लेकर आने वाले कुछ मरीजों में कुष्ठ की पुष्टि हो रही है। ये मरीज शुरुआती दौर में आ जाएं तो मर्ज जल्दी खत्म हो जाता है।
लोगों में धारणा है कि कुष्ठ ठीक नहीं हो सकता है, लेकिन यह पूरी तरह से इलाज से ठीक हो सकता है। संबंधित इलाके में कुष्ठ होने के कारणों और किस इलाके में ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, इस पर विस्तृत शोध की जरूरत है। इस संबंध में प्रोजेक्ट तैयार किए गए हैं।  
ऐसे पहचानें बीमारी  
कुष्ठ रोग में तर्जनी के बगल वाली दोनों अंगुली मोटी हो जाती है। 
कुहनी के पास की बाहरी नस और गर्दन की नस (अल्नर) भी मोटी हो जाती है। 
हाथ का सुन्न होना भी इसका लक्षण है।


निगेटिव आई गठिया जांच, कुष्ठ रोग की पुष्टि



सीतापुर के शिवशंकर के जोड़ों में तेज दर्द था। घुटना जाम हो जाता था। वह इलाके में ही इलाज कराते रहे। धीरे-धीरे हालत गंभीर हो गई। फिर केजीएमयू पहुंचे। यहां डॉक्टर ने देखते ही कुष्ठ रोग की आशंका जताई। गठिया जांच निगेटिव आई तो स्कीन बायोप्सी कराई, जिसमें कुष्ठ की पुष्टि हुई। अब कुष्ठ की दवाएं चल रही हैं। धीरे-धीरे उनके जोड़ों की जकड़न भी ठीक होने लगी है।
तीन माह में मिल गया आराम
इटौंजा निवासी समसुद्दीन (65) चलने-फिरने में असमर्थ हो गए थे। वह आसपास के चिकित्सकों से इलाज कराते रहे। हालत गंभीर हुई तो केजीएमयू पहुंचे। यहां जांच में पता चला कि उन्हें कुष्ठ था। डॉक्टर दर्द निवारक दवाएं देते रहें, जिससे उनका लिवर भी प्रभावित होने लगा था। केजीएमयू में इलाज शुरू होने के तीन माह बाद अब उन्हें आराम होने लगा है।
शोध में भी हो चुका है खुलासा
प्रो. अनुपम वाखलू ने बताया कि गठिया से मिलते-जुलते लक्षण लेकर आने वाले मरीजों पर केजीएमयू में अध्ययन किया गया। इसमें मेडिसिन विभाग के डॉ. केके सावलानी व डॉ. डी हिमंाशु की मदद ली गई। अध्ययन में शामिल करीब 17 से 38 वर्ष की उम्र वाले 29 मरीजों में गठिया जैसे लक्षण दिख रहे थे।
इसमें 17 में अर्थराइटिस, छह में हाथ-पैर में सूजन, दो में सूजन के साथ तेज दर्द की शिकायत थी। इसी तरह अन्य मरीज भी गठिया से मिलते-जुलते लक्षण वाले थे। इस दौरान पांच मरीजों में न्यूरिटिक लेप्रोसी के लक्षण पाए गए। ऐसे में टीम इस निष्कर्ष पर पहुंची कि गठिया से मिलते-जुलते लक्षण के साथ कुष्ठ रोग भी लोगों को शिकार बना रहा है। 




दवा से ठीक हो सकता है कुष्ठ रोग



डॉ. वाखलू ने बताया कि कुष्ठ दवाओं से ठीक हो सकता है। गठिया रोग का कुष्ठ और दूसरे ऑटो इम्यूनल बीमारियों से संबंध है। जब कुष्ठ रोग होता है तो उसमें जोड़ों में दर्द, सूजन के साथ ही नसें मोटी हो जाती हैं। शरीर में कुछ चकत्ते दिखते हैं, जो सुन्न से रहते हैं। विभाग में गठिया का लक्षण लेकर आने वाले मरीजों को कुष्ठ के लक्षण के आधार पर भी जांच की जाती है।
गठिया से जुड़ी जांच रिपोर्ट निगेटिव आने पर स्कीन बायोप्सी कराई जाती है। इसमें कुष्ठ की जानकारी मिल जाती है। फिर उसी हिसाब से इलाज किया जाता है। कुष्ठ है और उस मरीज को गठिया की दवा दी जाएगी तो वह बेअसर होगी। मरीज को साइड इफेक्ट झेलना पड़ेगा।




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