अमरोहा। नौ साल पहले सदर विधायक महबूब अली के भाई के साथ हुई मारपीट के मामले में न्यायालय ने पांच आरोपियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई है। साथ ही दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। खास बात यह है कि वादी की मौत हो गई। वादी के मरने के बाद आरोपियों को सजा मिली है। सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर थे। जिन्हें कस्टडी में लेकर जेल भेज दिया गया
रजबपुर थानाक्षेत्र के गांव शकरपुर में महफूज अली भट्ठा संचालक हैं। महफूज अली अमरोहा के विधायक महबूब अली के बड़े भाई हैं। महफूज अली का आरोप था कि वह 25 जुलाई 2010 की शाम घर में बैठे हुए थे। तभी गांव के कुछ लोगों ने लाठी-डंडे, चाकू और हथियारों के साथ हमला कर हत्या करने की कोशिश की। तमंचे से चेहरे पर प्रहार किया, जिससे वह लहूलुहान हो गए थे। तहरीर के आधार पर पुलिस ने गांव ही नौबत अली, लियाकत अली, रिजवान अली, लियाकत और इंतजार के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा कराया था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद से आरोपी जमानत पर जेल से बाहर थे। मुकदमा अपर सत्र न्यायाधीश शंकर लाल की अदालत में विचाराधीन था। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता रविंद्र गर्ग ने जोरदार पैरवी की। साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने हत्या की कोशिश के आरोप को खारिज कर दिया। घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में आरोपियों को दोषी पाया। न्यायालय ने सभी को तीन-तीन साल की सजा सुनाई और दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। शासकीय अधिवक्ता रविंद्र गर्ग ने बताया कि वादी महफूज अली की करीब एक साल पहले मौत हो चुकी है। इससे पहले वह अपने बयान न्यायालय के सामने दर्ज करा चुके थे
रजबपुर थानाक्षेत्र के गांव शकरपुर में महफूज अली भट्ठा संचालक हैं। महफूज अली अमरोहा के विधायक महबूब अली के बड़े भाई हैं। महफूज अली का आरोप था कि वह 25 जुलाई 2010 की शाम घर में बैठे हुए थे। तभी गांव के कुछ लोगों ने लाठी-डंडे, चाकू और हथियारों के साथ हमला कर हत्या करने की कोशिश की। तमंचे से चेहरे पर प्रहार किया, जिससे वह लहूलुहान हो गए थे। तहरीर के आधार पर पुलिस ने गांव ही नौबत अली, लियाकत अली, रिजवान अली, लियाकत और इंतजार के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा कराया था। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद से आरोपी जमानत पर जेल से बाहर थे। मुकदमा अपर सत्र न्यायाधीश शंकर लाल की अदालत में विचाराधीन था। अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता रविंद्र गर्ग ने जोरदार पैरवी की। साक्ष्य के अभाव में न्यायालय ने हत्या की कोशिश के आरोप को खारिज कर दिया। घर में घुसकर मारपीट करने के मामले में आरोपियों को दोषी पाया। न्यायालय ने सभी को तीन-तीन साल की सजा सुनाई और दो-दो हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। शासकीय अधिवक्ता रविंद्र गर्ग ने बताया कि वादी महफूज अली की करीब एक साल पहले मौत हो चुकी है। इससे पहले वह अपने बयान न्यायालय के सामने दर्ज करा चुके थे