प्रदूषण ने रोकी विकास की रफ्तार, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर इंटरचेंज का कार्य ठप, आईटी पार्क को झटका
लगातार बढ़ते प्रदूषण से हाईवे और शहर के विकास कार्यों का पहिया थम गया है। पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के आदेशों के बाद एक्सप्रेसवे का हॉट मिक्स प्लांट ठप हो गया है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर परतापुर तिराहे पर इंटरचेंज का कार्य डेढ़ माह से रुका है।
जनवरी-2020 में इस एक्सप्रेसवे पर वाहनों के संचालन का दावा ही रह जाएगा। वहीं, फरवरी से पहले जिले की सड़कों पर कोई काम नहीं हो पाएगा। गढ़ रोड ही नहीं बल्कि अन्य सड़कों पर जनता को अभी गड्ढों से ही गुजरना होगा।
एक्सप्रेसवे के मार्च 2020 तक भी पूरा होने की उम्मीद नहीं
डासना से हापुड़ तीसरे चरण के शुभारंभ के समय केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने जनवरी-2020 में एक्सप्रेसवे संचालन का दावा किया था। लेकिन बढ़ते प्रदूषण ने यहां काम की रफ्तार थाम दी है।
डासना से मेरठ चौथे चरण के 32 किमी में कई स्थानों पर कार्य पूरी तरह शुरू भी नहीं हो पाया है। अधिकारी कहते हैं कि मार्च-2020 तक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे के संचालन की संभावना है। लेकिन इन हालातों में ऐसा नहीं लगता



यहां भी काम अधूरे
परतापुर तिराहे पर इंटरचेज के निर्माण के लिए दो माह से एक भी काम पूरा नहीं हो हुआ है। तिराहे से कई निर्माणों को हटाने के बाद भी यहां तीन में से एक अंडरपास भी पूरी तरह से तैयार नहीं हो सका है। सर्विस रोड का निर्माण भी अधूरा है।  
प्रभावित होगा रियल एस्टेट
रियल एस्टेट सेक्टर को उबारने के लिए दी जा रहीं सरकारी बूस्टर डोज पर प्रदूषण हावी हो रहा है। ईपीसीए द्वारा जिले में मार्च-2020 तक ईंट भट्ठों की फुंकाई पर रोक लगाने का सबसे ज्यादा असर मकान निर्माण पर पड़ेगा। चार माह तक ईंट भट्ठे बंद होने से रियल एस्टेट सेक्टर को एक बार फिर झटका लग सकता है। 
आईटी पार्क को भी लगेगा झटका
वेदव्यासपुरी में बन रहे आईटी पार्क के निर्माण को भी झटका लगेगा। सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने 25 दिसंबर तक यह पार्क शुरू करने को कहा था। लेकिन निर्माण कार्य अटका है। सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क के अधिकारियों ने प्रदूषण नियंत्रण विभाग की सख्ती के बाद कार्य रोक रखा है। 




औद्योगिक क्षेत्रों का बुरा हाल



शहर की सड़कें ही नहीं, बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों का हाल भी बुरा है। मोहकमपुर औद्योगिक एरिया हो या साईंपुरम इंडस्ट्रियल एरिया, या फिर उद्योगपुर व परतापुर औद्योगिक क्षेत्र। सभी जगह कमोवेश सड़कें टूटी हैं तो लंबे समय से विकास कार्य नहीं हुए हैं।
साईंपुरम में तो जनता और उद्यमी दोनों ही परेशान हैं। यहां मेवला क्रॉसिंग की तरफ की सड़क तो ठीक है। लेकिन दूसरी तरफ की सड़क की हालत बहुत खस्ता है। इसके अलावा शहर के मुख्य मार्गों के डिवाइडर टूटे पड़े हैं। पथप्रकाश की व्यवस्था भी बेकार है।
शहर की 45 सड़कें हैं गड्ढों में तब्दील, कब मिलेगी राहत
मेरठ महानगर में 45 सड़कें गड्ढों में तब्दील हो गयी हैं। इन सड़कों के लिए नगर निगम प्रस्ताव ही बनाता रहा। लेकिन इन्हें गड्ढा मुक्त नहीं कर पाया। समय से टेंडर प्रक्रिया भी नहीं करा पाया।
ऐसे में कैसे बनेंगी सड़क
अब एनजीटी ने प्रदूषण के चलते सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाते हुए हॉट मिक्स प्लांट भी बंद करा दिए हैं। स्थिति ये है कि प्लांट संचालन पर रोक और दिसंबर से सर्दी बढ़ने के कारण डेंस की सड़क बनाने योग्य तापमान नहीं होगा। जिसके कारण फरवरी से पहले जनता को टूटी सड़कों से निजात मिलने वाली नहीं है। एनजीटी के आदेश से नगर निगम, पीडब्लूडी, एनएचएआई तो राहत में हैं। लेकिन परेशान केवल जनता ही होगी।




आदेश ने बचा ली लाज
सरकार अनेकों बार गढ़ रोड़ सहित सभी सड़कों को गड्ढा मुक्त करने का आदेश दे चुकी है। लेकिन अनुपालन हुआ नहीं। एनएचएआई के अनुसार सड़कें गड्ढा मुक्त करने के लिए बजट प्रस्ताव चार माह पहले शासन को भेजा था। लेकिन धन ही नहीं मिला। बिना धन के कैसे सड़क को गड्ढा मुक्त किया जाता।
भट्ठों के बदले मानक तो रोक क्यों 
प्रदूषण नियंत्रण के बहाने ईंट भट्टे बंदी के आदेश से ईंट भट्टा मालिकों में रोष है। मेरठ जनपद ईट निर्माता समिति के महामंत्री पवन मित्तल ने कहा कि एक अक्तूबर से 30 जून तक कुल 8 माह भट्ठों का संचालन होता है। नवंबर से ईंट भट्ठों के सीजन का महत्वपूर्ण समय होता है।
ऐसे में भट्ठा मालिकों को तो आर्थिक क्षति पहुंचाई ही, बेरोजगारी को भी बढ़ावा दिया गया है। जबकि अब जो भट्ठे संचालित हो रहे हैं, वह पूरी तरह एनजीटी के तहत तैयार मानकों के आधार पर ही हो रहे हैं। जिसमें प्रदूषण का मानक बहुत निम्न स्तर पर है। बावजूद इसके यह आदेश जारी किया गया है, जो पूरी तरह अव्यवहारिक है। 




नहीं मिला धन 
हॉट मिक्स प्लांट संचालन पर रोक है। गढ़ रोड गड्ढा मुक्त करने के लिए एनएचएआई को कई बार पत्र लिखा। उन्होंने धन न होना बताया। हम अपनी सड़कें गड्ढा मुक्त करा रहे हैं। -अरविंद कुमार, अधिशासी अभियंता पीडब्लूडी
टेंडर स्वीकृत नहीं
शहर की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने के लिए समय से प्रस्ताव बनाए थे। नगरायुक्त की स्वीकृति बिना कोई काम नहीं हो सकता है। लगभग सवा करोड़ रुपये के बजट की फाइलें तैयार कीं। अभी टेंडर प्रक्रिया की स्वीकृति नहीं मिली है। -यशवंत कुमार, चीफ इंजीनियर नगर निगम