मुरादाबाद। बात अगर हजयात्रा की करें तो जिले के लोगों के जज्बे को सलाम करना पड़ेगा। वजह यह है कि देश से हज पर जाने वालों में अधिकांश बार अधिक संख्या मुरादाबाद जिले से जाने वाले हजयात्रियों की ही रहती है। लेकिन इस बार ऑनलाइन आवेदन की अनिवार्यता हज आवेदकों के लिए मुश्किल पैदा कर रही है। ऊपर से हजयात्रा का बढ़ा किराया भी अकीदतमंदों को मायूस कर रहा है। यही कारण है कि अभी तक जिले से कुल 2000 लोग ही आवेदन कर सके हैं। यह हाल तब है जब इस साल आवेदन की अंतिम तिथि पांच दिसंबर निर्धारित की गई है।
देश से हजयात्रा पर जाने वाले लोगों में पिछले लंबे समय से मुरादाबाद जिले के लोगों का दबदबा रहा है। यही वजह रहती है कि कई बार अन्य स्थानों का निर्धारित कोटा पूरा न होने पर इस जिले के आवेदकों को हज पर जाने का मौका मिलता रहा है। हजयात्रा पर जाने के लिए पहले मैनुअल आवेदन किए जाते थे। इसके लिए जिले में कई लोग ऐसे थे जो इन हजयात्रियों के लिए मैनुअल आवेदन पत्र भरने में सहयोग देते थे। पिछले दो साल से ऑनलाइन व मैनुअल दोनों तरह से आवेदन किए जा रहे थे, इससे हजयात्रियों की संख्या बढ़ रही थी। वर्ष 2017 में जिले से चार हजार से अधिक वर्ष 2018 में पांच हजार से अधिक लोगों ने हजयात्रा के लिए आवेदन किए थे। इसमें 2017 में 1800, 2018 में 2400 व 2019 में 3400 लोग हजयात्रा पर गए थे। लेकिन 2020 में हज यात्रा पर जाने वाले हज यात्रियों के लिए मैनुअल आवेदन खत्म कर ऑनलाइन आवेदन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा हजयात्रा पर जाने का खर्च भी बढ़ गया है। इसके चलते हजयात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों के समक्ष दिक्कतें आ रही हैं। यही वजह है कि जिले से अबतक मात्र 2000 लोग ही ऑनलाइन आवेदन कर सकें हैं। जो पिछले तीन साल में सबसे कम है। जानकारों का मानना है कि ऑनलाइन आवेदन के चलते इस बार हज यात्रियों की संख्या में कमी आ सकती है।
'ऑनलाइन आवेदन की अनिवार्यता हो खत्म'
मुरादाबाद। हज कमेटी ऑफ इंडिया के मास्टर ट्रेनर, शहर निवासी मुख्तार असलम वर्ष 1976 से जिले से हज पर जाने वाले यात्रियों के लिए आवेदन भरने में मदद से लेकर उन्हें ट्रेनिंग देने का काम करते आए हैं। पेशे से ऑक्सीजन गैस सप्लायर असलम स्वयं दो बार हज व एक बार उमरा कर चुके हैं। उनका मानना है कि हजयात्रा पर जाने वाले यात्रियों में 80 फीसदी लोग कम पढ़े लिखे व गांव के होते हैं। मैनुअल आवेदन में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती थी। कई लोग उनकी मदद भी करते थे, लेकिन ऑनलाइन आवेदन कराने में उनके पसीने छूट रहे हैं। साइबर कैफे वालों के उन्हें चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यही वजह है कि इस बार अभी तक मात्र 2000 ही आवेदन हो सके हैं। पिछले पांच साल में हज किराया भी पहले की अपेक्षा करीब छह गुना बढ़ गया है। इससे भी दिक्कत आ रही है। आवेदकों की संख्या बढ़ाने के लिए ऑनलाइन आवेदन की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए।
ऑनलाइन आवेदन को बताया झंझट
मुरादाबाद। हैविट मुस्लिम इंटर कॉलेज के पूर्व मैनेजर मुफ्ती आजम बताते हैं कि मैनुअल आवेदन के समय वह भी लोगों के आवेदन पत्र भरवाने में मदद करते थे। इस बार कई आवेदक मिले। जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन को झंझट बताया। उन्हें समझाने की कोशिश भी की गई, लेकिन उनमें मायूसी साफ झलक रही थी। हजयात्रियों पर बढ़ाए गए आर्थिक बोझ को भी कम करना चाहिए, ताकि कम पैसे वाले लोग भी हज की तमन्ना पूरी कर सकें। ऑनलाइन आवेदन से हज यात्रियों को कम हज कमेटी को अधिक लाभ हो रहा है।
'आइये हम करेंगे मदद'
मुरादाबाद। जामिया नइमिया मदरसा के आधुनिक अध्यापक मौैलाना बाकर ने भी स्वीकार किया कि ऑनलाइन आवेदन के चलते हजयात्रियों को खासी दिक्कत आ रही है। इसके चलते उन्होंने अपने मदरसे के कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा की है। उन्होंने कहा कि इच्छुक लोग पांच दिसंबर तक किसी भी दिन उनके कार्यालय में सुबह आठ बजे से 12 बजे तक पहुंच कर अपने आवेदन निशुल्क ऑनलाइन आवेदन करवा सकते हैं।
देश से हजयात्रा पर जाने वाले लोगों में पिछले लंबे समय से मुरादाबाद जिले के लोगों का दबदबा रहा है। यही वजह रहती है कि कई बार अन्य स्थानों का निर्धारित कोटा पूरा न होने पर इस जिले के आवेदकों को हज पर जाने का मौका मिलता रहा है। हजयात्रा पर जाने के लिए पहले मैनुअल आवेदन किए जाते थे। इसके लिए जिले में कई लोग ऐसे थे जो इन हजयात्रियों के लिए मैनुअल आवेदन पत्र भरने में सहयोग देते थे। पिछले दो साल से ऑनलाइन व मैनुअल दोनों तरह से आवेदन किए जा रहे थे, इससे हजयात्रियों की संख्या बढ़ रही थी। वर्ष 2017 में जिले से चार हजार से अधिक वर्ष 2018 में पांच हजार से अधिक लोगों ने हजयात्रा के लिए आवेदन किए थे। इसमें 2017 में 1800, 2018 में 2400 व 2019 में 3400 लोग हजयात्रा पर गए थे। लेकिन 2020 में हज यात्रा पर जाने वाले हज यात्रियों के लिए मैनुअल आवेदन खत्म कर ऑनलाइन आवेदन अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा हजयात्रा पर जाने का खर्च भी बढ़ गया है। इसके चलते हजयात्रा पर जाने के इच्छुक लोगों के समक्ष दिक्कतें आ रही हैं। यही वजह है कि जिले से अबतक मात्र 2000 लोग ही ऑनलाइन आवेदन कर सकें हैं। जो पिछले तीन साल में सबसे कम है। जानकारों का मानना है कि ऑनलाइन आवेदन के चलते इस बार हज यात्रियों की संख्या में कमी आ सकती है।
'ऑनलाइन आवेदन की अनिवार्यता हो खत्म'
मुरादाबाद। हज कमेटी ऑफ इंडिया के मास्टर ट्रेनर, शहर निवासी मुख्तार असलम वर्ष 1976 से जिले से हज पर जाने वाले यात्रियों के लिए आवेदन भरने में मदद से लेकर उन्हें ट्रेनिंग देने का काम करते आए हैं। पेशे से ऑक्सीजन गैस सप्लायर असलम स्वयं दो बार हज व एक बार उमरा कर चुके हैं। उनका मानना है कि हजयात्रा पर जाने वाले यात्रियों में 80 फीसदी लोग कम पढ़े लिखे व गांव के होते हैं। मैनुअल आवेदन में उन्हें कोई दिक्कत नहीं आती थी। कई लोग उनकी मदद भी करते थे, लेकिन ऑनलाइन आवेदन कराने में उनके पसीने छूट रहे हैं। साइबर कैफे वालों के उन्हें चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। यही वजह है कि इस बार अभी तक मात्र 2000 ही आवेदन हो सके हैं। पिछले पांच साल में हज किराया भी पहले की अपेक्षा करीब छह गुना बढ़ गया है। इससे भी दिक्कत आ रही है। आवेदकों की संख्या बढ़ाने के लिए ऑनलाइन आवेदन की अनिवार्यता खत्म होनी चाहिए।
ऑनलाइन आवेदन को बताया झंझट
मुरादाबाद। हैविट मुस्लिम इंटर कॉलेज के पूर्व मैनेजर मुफ्ती आजम बताते हैं कि मैनुअल आवेदन के समय वह भी लोगों के आवेदन पत्र भरवाने में मदद करते थे। इस बार कई आवेदक मिले। जिन्होंने ऑनलाइन आवेदन को झंझट बताया। उन्हें समझाने की कोशिश भी की गई, लेकिन उनमें मायूसी साफ झलक रही थी। हजयात्रियों पर बढ़ाए गए आर्थिक बोझ को भी कम करना चाहिए, ताकि कम पैसे वाले लोग भी हज की तमन्ना पूरी कर सकें। ऑनलाइन आवेदन से हज यात्रियों को कम हज कमेटी को अधिक लाभ हो रहा है।
'आइये हम करेंगे मदद'
मुरादाबाद। जामिया नइमिया मदरसा के आधुनिक अध्यापक मौैलाना बाकर ने भी स्वीकार किया कि ऑनलाइन आवेदन के चलते हजयात्रियों को खासी दिक्कत आ रही है। इसके चलते उन्होंने अपने मदरसे के कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन की सुविधा की है। उन्होंने कहा कि इच्छुक लोग पांच दिसंबर तक किसी भी दिन उनके कार्यालय में सुबह आठ बजे से 12 बजे तक पहुंच कर अपने आवेदन निशुल्क ऑनलाइन आवेदन करवा सकते हैं।