केजीएमयू में महिला को नहीं मिला इलाज, पेड़ पर ग्लूकोज की बोतल टांग तीमारदारों ने बचाई जान
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में आने वाली महिला मरीज को डॉक्टरों ने इलाज मुहैया नहीं कराया। महिला को ब्रेन हैमरेज हुआ था। करीब 13 घंटे तक तीमारदार मरीज को लेकर केजीएमयू में भटकते रहे। मरीज की हालत बिगड़ती देख तीमारदारों ने ओपीडी के बाहर पेड़ पर बोतल टांगकर मरीज को खुद दवा चढ़ाकर उसकी जान बचाई।
कानपुर निवासी मंजू मिश्रा (60) को ब्लड प्रेशर की समस्या थी। मंगलवार सुबह साढ़े चार बजे अचानक वह बेहोश हो गईं। तीमारदार पहले नजदीकी निजी अस्पताल ले गए। डॉक्टर ने सीटी स्कैन व अन्य जांचें कर्राई। बुधवार को मंजू को ब्रेन हेमरेज बताकर कानपुर से ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया।
परिवारीजन बुधवार रात 12 बजे मंजू को ट्रॉमा सेंटर लेकर कैजुअलिटी पहुंचे। डॉक्टरों ने बेड खाली न होने का हवाला देकर वापस कर दिया। मरीज बाहर स्ट्रेचर पर पड़ी रही। बृहस्पतिवार सुबह तीमारदार मरीज को दोबारा कैजुअलिटी में ले गए। डॉक्टरों ने दोबारा बेड खाली न होने की बात कहकर ओपीडी भेज दिया।

ओपीडी में मरीज की हालत गंभीर हो गई



बहू सीमा का आरोप है कि सुबह नौ बजे न्यूरोलॉजी की ओपीडी में दिखाया। यहां से मेडिसिन की ओपीडी भेज दिया गया। साढ़े ग्यारह बजे मेडिसिन ओपीडी में नंबर आया। यहां डॉक्टर ने बेहोश मंजू को खून की जांच लिख दी। ओपीडी में मरीज की हालत गंभीर हो गई। तीमारदारों ने ओपीडी के बाहर स्ट्रेचर लगाया।
वहीं कानपुर के निजी अस्पताल में लगाई गई ड्रिप की बोतल पेड़ पर टांगकर दवा चढ़ाई। ट्रॉमा-न्यूरोलॉजी विभाग में मरीज को भर्ती न लेने पर तीमारदारों ने मरीज को जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। जहां पर उसकी हालत गंभीर बनी है। उधर, इस बारे में प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह का कहना है कि बिना प्राथमिक उपचार मरीज को लौटाया नहीं जाता है।