स्वास्थ्य विभाग की नयी पहल  अब डाकिये पहुंचाएंगे टीबी जांच सैंपल 


 मेरठ। अब डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थय विभाग मिलकर टीबी रोग उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। टीबी स्पुटम बलगम के नमूने डाक के माध्यम से तेजी से स्वास्थ्य विभाग की लैंब तक पहुंचाए जाएंगे। अभी चार जिलों लखनऊ, आगरा,  बदायू व चंदौली में इसकी शु्रुआत पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में करने की तैयारी है। अगले चरण में मेरठ भी इसमें शामिल किया जाएगा। इस पल को यादगार बनाने के लिये डाक विभाग ने टीबी उन्मूलन की दिशा में एक कदम शीर्षक से एक विशेष आवरण भी जारी किया है। 
 जिला क्षय रोग अधिकारी डा. एमएस फौजदार ने बताया कि यह प्रोजेक्ट भारतीय डाक विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की अच्छी पहल है। योजना के तहत टीबी स्पुटम के नमूनों को डाकिए एकत्र करके लैब तक पहुंचाएंगे। डाकिये दूरदाराज के सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से नमूनों को प्रयोगशाला तक 24 से 48 घंटे में पहुंचाएंगे। इससे टीबी मरीजों की पहचान शीघ्र हो सकेगी। उन्होंने बताया प्रदेश को 2025 तक टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें डाक विभाग की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्तर टीबी के 100 में से 20 मरीज उत्तर प्रदेश के होते हैं। ऐसे में प्रोजेक्ट की सफलता के बाद प्रदेश के अन्य जिलों में यह प्रोजेक्ट शुरू किया जाएगा।


उन्होंने बताया 2025 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए मंगलवार से मेडिकल मोबाइल वैन की शुरुआत की गयी है। मोबाइल वैन पर मौजूद स्टाफ मौके पर बलगम की जांच कर दो से तीन घंटे में रिपोर्ट दे देंगे। ताकि टीबी मरीज का उपचार जल्दी किया जा सके।  बाक्स में लगाएं  ये है मेरठ की स्थिति 
 पिछले तीन सालों में जिले के 19445 मरीजों ने लगातार उपचार करा कर टीबी को हराया है। इसमें 30 साल से 50 साल की उम्र के लोग सबसे अधिक रहे। इसमें 60 प्रतिशत पुरूष व 40 प्रतिशत महिलाए शामिल रहीं। 2018 में टीबी के 8024 मरीज मिले। इसमें 7221 मरीज इलाज से ठीक हो गये। 2017 में 6898 मरीज मिले 6203 मरीज उपचार के बाद ठीक हो गये। 2016 में 6698 में से 6021 मरीज ठीक हो गये। 
उपचार की श्रेणी
 टीबी के मरीजों को तीन वर्गों में चिन्ह्ति कर उपचार किया जाता है। पहले वर्ग में वह  मरीज होते हैं, जो नए होते हैं या फिर उन्होंने एक महीने से कम दवा खाई हो। उनका 6 महीने तक इलाज चलता है। दूसरे वर्ग में वह मरीज रहते हैं, जिन्होंने दो माह तक दवा खाई है। उनका 9 माह तक उपचार चलता है। मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस मरीज का 24 से 27 महीने तक इलाज चलता है। एक दवा से रेजिस्टेंस होने पर 11 से 13  महिने की दवा दी जाती है।  ये लक्षण दिखने पर करायें जांच   दो हफ्ते तक लगातार खांसी बुखार ,भूख न लगना  रात में  पसीना आना वजन का लगातार गिरना