मरीजों के लिये लाइफ लाइन बनी एम्बुलेंस 108 विभागीय प्रचार- प्रसार से लोगों में तेजी से बढ़ रही जागरूकता

मेरठ। जिले में 108 एम्बुलेंस मरीजों के लिए लाइफ लाइन बन गयी है। विभाग द्वारा एम्बुलेंस 108 व 102 का प्रचार किये जाने से लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है। अब लोगों ने इसका प्रयोग करना आरंभ कर दिया है। जुलाई माह में अब तक 1240 मरीज पेट दर्द के और 2230 गर्भवती महिलाओं को एम्बुलेंस से अस्पतालों तक पहुंचाया गया है।
एम्बुलेंस 108 के जिला प्रभारी प्रोमिल त्यागी ने बताया कि जिले में लोग बड़ी दुर्घटना या नाजुक हालत होने पर ही एम्बुलेंस बुलाते हैंए जबकि वह बुखारए पेट दर्दए चक्कर आने, जानवर के काटने आदि पर भी इसकी मदद ले सकते हैं। विभाग जगह-जगह बैनर, पोस्टर लगाकर लोगों को एम्बुलेंस सुविधा की जानकारी दे रहा है। इसका असर दिखने लगा है। लोग अब तुरंत इसकी सेवा ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि जून माह में 108 एम्बुलेंस से 150 मरीज सडक़ दुर्घटना के, 1240 मरीज पेट दर्द , 2230 गर्भवती महिलाएं व 730 मरीज हैड इंजरी व कुत्ते काटने के 120 मरीजों को अस्पताल पहुंचाया गया। मई माह में 230 अन्य बीमारियों के, 170 एक्सीडेंट ,1250 गभवर्ती महिलाएं, 1520 हैड इंजरी व 331 कुत्ते के काटने से पीडि़त लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया।
उन्होंने बताया कि जिले में मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिये 37 एम्बुलेंस 108 व 38 एम्बुलेंस 102 तैनात हैं। इसके अतिरिक्त गंभीर हालत के मरीजों को दिल्ली ले जाने के लिये एडवांस सपोर्ट सिस्टम की चार एम्बुलेंस भी जिले में मौजूद हैं।
ओला टैक्सी की तरह काम करती है 108 एम्बुलेंस
प्रोमिल त्यागी ने बताया कि 108 एम्बुलेंस ओला टैक्सी की तरह कार्य कर रही है। फोन करने पर तत्काल मरीजों को नि:शुल्क सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है। 108 एम्बुलेंस को मोबाइल एप से जोड़ा गया हैए ताकि मरीजों को तत्काल सुविधा उपलब्ध करायी जा सके। उन्होंने बताया कि पहले एम्बूलेंस का रेस्पोंस टाइम 20 मिनट था। इसे घटा कर 15 मिनट कर दिया गयी है। समय घटाने का मकसद मरीजों को समय पर अस्पताल पहुंचा कर तुरंत उपचार मुहैया कराना है। उन्होंने बताया अब एम्बुलेंस विभाग की टीम जिस क्षेत्र में भी मरीजों की संख्या ज्यादा होगी। वहां बैनर के जरिए लोगों को बताएगी कि वे किन बीमारियों या स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने पर एम्बुलेंस बुला सकते हैं।
मां बनने के 1 साल तक मिलती है 102 एम्बुलेंस की सुविधा
मां बनने के 1 साल तक महिलाएं सरकारी अस्पताल आने और वापस घर जाने के लिए एम्बुलेंस 102 की मदद ले सकती हैं। इस दौरान महिलाओं को जितनी बार भी जरूरत लगेए वह एम्बुलेंस से सरकारी अस्पताल तक आवाजाही कर सकती हैं। इसके लिए किसी तरह का शुल्क भी नहीं देना होगा।
इन छोटी बीमारियों में भी ले सकते हैं सुविधा का लाभ
पेट में पथरी या अन्य किसी तरह का दर्द उठनेए एलर्जी या रिएक्शन होने, दमा का अटैक आने, जानवर के काटने, मिर्गी का दौरे पडऩ़े, बुखार, आपदा, आग लगने, आत्महत्या के प्रयास पर, ड्रग ओवरडोज, दुर्घटना, गर्भावस्था के दौरान संजीदा हालत होने, मां बनने के बाद, डायबिटीज से पीडि़त व्यक्ति एम्बुलेंस 108 बुला सकते हैं।
इन्होंने कहा :-
विभाग का पूरा प्रयास है कि 102 व 108 एम्बुलेंस की सुविधा हर बीमार व्यक्ति को मिले। इसके लिये विभाग की ओर से बकायदा एम्बुलेंस की मानिटरिंग की जा रही है। पहले के मुकाबले लोगों में 102 व 108 एम्बुलेंस की जानकारी बढ़ी है। दोनों एम्बुलेंस की सेवाओं को मोबाइल एप से जोड़ा गया है।
डा. राजकुमार मुख्य चिकित्सा अधिकारी, मेरठ