सामूहिक दुष्कर्म मामला: पुलिस के सामने 'दावत' उड़ाते रहे आरोपी, नेताओं ने भी नहीं सुना दर्द

राजस्थान के अलवर जिले में पति को बंधक बनाकर पत्नी से सामूहिक दुष्कर्म और वीडियो वायरल करने के मामले में अभी तक तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है। साथ ही कई पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। जयपुर में गुरुवार को केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ अन्य भाजपा समर्थकों के साथ कलेक्टर ऑफिस में धरना दे रहे हैं। राठौड़ का कहना है, "मामले में पुलिस की लापरवाही रही है। अपॉइंटमेंट के बाद हम कलेक्टर से मिलने आए थे लेकिन वो कार्यालय में मौजूद नहीं हैं।" इस घटना के बाद से जो कुछ हुआ, उससे पुलिस की लापरवाही का साफ पता चलता है। 


26 अप्रैल- पीड़ित पति-पत्नी शॉपिंग के लिए जा रहे थे। तभी आरोपियों ने एक सुनसान इलाका आने तक उनका पीछा किया और फिर उन्हें जबरन एक रेल के टीले में ले गए। वहां दोनों के साथ मारपीट की, महिला का पांच लोगों ने एक-एक कर दुष्कर्म किया। दो हजार रुपये भी ले लिए।

27 अप्रैल- पीड़ित पति वापस अपने घर जयपुर चला गया। उसे बाइक रोककर पांच लोगों ने करीब ढाई घंटे तक टॉर्चर किया। 

28 अप्रैल- आरोपियों का फोन आया और दस हजार रुपये की मांग की। 

29 अप्रैल- पीड़ित पति वकील के पास गया और परिवाद तैयार कराया। जिसमें पूरी घटना का जिक्र किया गया था।

30 अप्रैल- पीड़ित पति-पत्नी एसपी के पास मामला दर्ज कराने गए। साढ़े चार घंटे (सुबह 11 से दोपहर साढ़े तीन बजे) तक इंतजार कराने के बाद परिवाद मार्क कराया और एसएचओ को व्हाट्सएप किया। मार्किंग वाला परिवाद पीड़ितों को देने के बाद कहा कि इसे एसएचओ को दे देना। फिर एडिशनल एसपी के पास भेज दिया। 

1 मई- पुलिस पीड़िता को मेडिकल के लिए लेकर गई। और दो मई को दोबारा आने को कहा।

2 मई- पुलिस ने मामला दर्ज किया। फिर दोबारा मेडिकल कराया। एफआईआर की कॉपी भी इसी दिन शाम को दी गई।

3 मई- पीड़िता के पति के अनुसार पुलिस को सूचना दी गई थी कि आरोपी जीमण कार्यक्रम में हैं, जिसमें पुलिस खुद भी शामिल थी। फिर भी किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया।

4 मई- आरोपियों ने वीडियो वायरल कर दी। पुलिस से वीडियो की भी शिकायत की गई लेकिन उन्होंने नहीं सुना। तीन घंटे तक बिठाने के बाद कहा कि चुनाव तक चुप रहो। उसके बाद कुछ देखेंगे। कई घंटे बाद मिले एसएचओ ने कहा कि वीडियो वायरल होने की एक और धारा जोड़ देंगे। 

6 मई- जब वीडियो के वायरल होने के बाद लोगों में गुस्सा आया तब जाकर पुलिस हरकत में आई। लेकिन पीड़िता की सुरक्षा के लिए उसके घर में तैनात पुलिस वाले भी गहरी नींद लेते नजर आए।

7 मई- तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, अन्य की तलाश जारी है। वीडियो वायरल करने के आरोप में भी एक शख्स गिरफ्तार हुआ है। पुलिस अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही बरतने के लिए सरकार ने कार्रवाई की।

8 मई- पीड़ित परिवार से अधिकारी, मंत्री और नेता मिलने आए। गुस्साए लोगों ने कहा कि पुलिस प्रशासन के साथ-साथ नेता भी जिम्मेदार हैं। पीड़ितों ने कई नेताओं को घटना के बाद 30 तारीख को फोन किया था, लेकिन सबका फोन बिजी आ रहा था।

वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर मुख्य सचिव और डीजीपी से 6 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है।