फिर बच गया मास्टर माइण्ड विभागीय खिलाड़ी बीते तीन दशकों से जनपद में ही जमा, अवैध शराब व्यवसाय व विभाग के बीच सेतू सी भूमिका वर्तमान में भी कई शिकायतों व लखीमपुरखीरी में तैनाती के बावजूद जनपद में ही ड्यूटी सवालों के घेरे में देवा जहरीली शराब काण्ड में भी महत्वपूर्ण रही थी भूमिका

बाराबंकी। जनपद में जहरीली या कह लीजिए अवैध शराब व्यवसाय व दूसरे प्रांतो की शराब जनपद में खपाने का मास्टर माइण्ड भले ही कोई और हो लेकिन परोक्ष रूप में जिस हरिकेश शुक्ला के बारे में सूत्र अरसे से बता व देख रहे हैं व कई बार मीडिया ने इसे प्रमुखता से उठाया भी। लेकिन इन महाशय के उपर आज तक कोई आंच बड़े से बड़े काण्ड के बावजूद नहीं आई।


जबकि लोगों की मानें तो बिना लिखापढ़ी यही महोदय तमाम जरूरी कहे जाने वाले विभागीय गोपनीय कार्यों को अंजाम देते हैं व इसीलिए अर्से से मतलब बीते तीन दशकों से इन्हे कोई हिला तक नहीं पाया है। आबकारी कांस्टेबिल से सहायक निरीक्षक बने हरिकेश शुक्ला के बारे में तमाम शिकायतें लोगों की हैं। लेकिन मामले में न तो जिला प्रशासन ने मोटी मलाई के चलते इसे संज्ञान में लिया और न ही विभाग के दूसरे बड़े अधिकारियों ने इसे गंभीरता से लिया। जबकि इसपर सवाल उठाने के कारण संबंधित अर्से से जमें हरिकेश शुक्ला ने एक पत्रकार पर हमलाकर उसे मारा पीटा व जातिसूचक गालियों से नवाजा तक था। जिसकी बकायदा शिकायत तमाम पत्रकारों ने आबकारी विभाग में जारी पूरे गोरखधंधे के साथ जिला प्रशासन के संज्ञान में देते हुए तहसील दिवस के दिन दीवावली पर्व के पूर्व ही शिकायती पत्र देकर शिकायत दर्ज करवाई थी। लेकिन तब भी मामले में फैजाबाद से जांच करने आए अधिकारियों ने आबकारी कार्यालय में बैठे बैठे ही सुविधाशुल्क युक्त शायद जांचकर मामला ठण्डे बस्ते में डाल दिया था।


जिसका परिणाम पूरे जिले में जारी देशी शराब में व्याप्त गोरखधंधा है। जिसमें अभी तो पहले देवा, फिर रामनगर क्षेत्र के रानीगंज और अब और कहां यह कहा नहीं जा सकता। लेकिन मंगलवार को विभागीय हरकत में रामसनेहीघाट पहुंचे चंद आबकारी अधिकारियों व सिपाहियों ने अपने नाम का लेबिल तक हटा रखा था और सूत्रों की मानें तो कई बार से आमजन की शिकायतों के बावजूद अवैध धंधे को अंजाम दे रहे अनुज्ञापियों के यहां से सबुत मिटाने का काम लोगों के बताए अनुसार विभाग अंजाम दे रहा है।