पीएम मोदी का शायराना अंदाज मुझे गिराने में कई बार बार गिरे
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस के खिलाफ गरजे, वहीं मायावती और बहुजन समाज पार्टी के लिए थोड़ी नरमी दिखाई। उन्होंने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के वोटकटवा बयान पर भी तंज कसा। उन्होंने महागठबंधन को महामिलावट बताते हुए उससे देश को होने वाले पांच खतरे गिनाए। भ्रष्टाचार, अस्थिरता, जातिवाद, वंशवाद और कुशासन। 

पीएम मोदी ने कहा कि 


  • चार चरणों के मतदान के बाद उत्तर प्रदेश के लोगों ने तय कर दिया है कि नतीजे क्या आने वाले हैं। अब पांचवे चरण से पहले अगर ये महामिलावटी लोग आपका ये उत्साह देख लेंगे तो शायद मैदान ही छोड़ देंगे।
     

  • उत्तर प्रदेश के लोगों ने जिस तरह ठान लिया है कि विकास के आगे उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है। इन महामिलावटी लोगों को समझ ही नहीं आ रहा है कि अब बचा हुआ चुनाव बचाने के लिए कौन सा खेल खेला जाए। 
     

  • अब ये साफ हो चुका है कि समाजवादी पार्टी ने गठबंधन के बहाने बहन मायावती का तो फायदा उठा लिया, लेकिन अब बहनजी को समझ आ गया है कि सपा और कांग्रेस ने बहुत बड़ा खेल खेला है। अब बहनजी खुले आम कांग्रेस और नामदार की आलोचना करती है।
     

  • समाजवादी पार्टी ने मायावती को अंधेरे में रखा। सपा ने गठबंधन के बहाने बसपा के साथ धोखा किया। कांग्रेस के नेता समाजवादी पार्टी के मंच पर जा रहे हैं। 
     

  • चुनाव के बाद झूठे महामिलावटी लोगों का सच सामने आएगा। कांग्रेस ने झूठ के पुलिंदे का नाम राफेल दे दिया। कांग्रेस का केवल एक ही लक्ष्य है, मोदी की छवि बिगाड़ना। 
     

  • न मैं गिरा और न मेरी उम्मीदों के मीनार गिरे, पर कुछ लोग मुझे गिराने में कई बार गिरे।
     

  • नामदार कान खोलकर सुन लो, ये मोदी सोने की चम्मच लेकर और राज परिवार में पैदा नहीं हुआ है। ये मोदी भारत मां की धूल फांककर बड़ा हुआ है।  ये मोदी पांच दशक तक बिना रुके बिना थके, सिर्फ भारत माता के लिए जिया है और भारत माता के लिए तपस्या की है।
     

  • कल तक कांग्रेस के नामदार कहते थे कि वो मोदी के प्रभाव से डरते हैं। अब वो कहने लगे हैं कि मोदी से तब तक नहीं जीत सकते, जब तक मोदी की मेहनत और मोदी की देशभक्ति पर दाग न लग जाए।
     

  • कांग्रेस के नामदार किसानों की जमीन पर ट्रस्ट के नाम पर कब्जा करते हैं और फिर उसको हड़प लेते हैं। किसानों से जमीन लेते हैं फैक्ट्री के नाम पर और उस पर अपने लिए नोटों की खेती करते हैं। यहां अमेठी में तो यही हुआ था ना!