परिवहन विभाग की मनमर्जी कस्बावासियों पर पड़ रही भारी, जिम्मेदार मौन


रामसनेहीघाट, बाराबंकी। परिवाहन की खाऊ कमाऊ नीति के चलते परिवहन विभाग की बसे भिटरिया के अन्दर न आकर बाहर से निकल रही जिस से क्षेत्रीय जनता को विकराल समस्याओं से जूझ रहा है। जिस का कोई पुरुसाहाल नही,ं वहीं किसानो की नियति देखिए कि उनके ऊपर यदि प्रकृति अनुकूल वातावरण बनाकर झमाझम बारिश कर दे तो उनके खेत फसलों की खेप से उनके घर को भरते हुए उनके जीवन में खुशहाली दे देते हैं और यदि प्रतिकूलता में आ गए तो जिंदगी ही तवाह कर देते हैं
दुर्भाग्य ही है कि यहां के ग्रामीणंचलो में लोगों को अब दूसरे की अनुकम्पा आवश्यकता बनती जा रही है यदि नहीं हो रही है तो वह है राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन की इच्छाशक्ति पर आवश्यकता अनुरूप इस क्षेत्र के लोगों की मूलभूत सुविधाओं को विकसित करने की संभावना पर एक सकारात्मक सोच पनपने की जो अब तक नहीं उत्पन्न हो सकी है जनपद बाराबंकी के तहसील रामसनेहीघाट के ग्रामीण इलाकों में आम जनता को आवागमन में इन दिनों भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब तक इस समस्या के निदान के लिए अब तक कोई पहल नहीं हो सकी है परिवहन विभाग द्वारा लखनऊ से अयोध्या मण्डल राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे अन्दर न आकर बाहर बाईपास से निकल जाती यात्रियों को जबरदस्त कर वही छौड़ देते हैं अन्य सभी मार्ग पर यात्रियों की आवश्यकता के अनुरूप अपेक्षा कृत बसों की व्यवस्था करने में अब तक तो कोई व्यवस्था नहीं की है और जल्द पूरा कर देंगे इसकी उम्मीद भी नहीं जताई जा सकती है चाहे भिटरिया से हैदरगढ़ मार्ग हो या फिर भिटरिया से टिकैतनगर हो भिटरिया चैरहा से जिला मुख्यालय मार्ग पर तो विगत लगभग बीसों वर्षों से डग्गामार मैजिक मौत बनकर सड़क पर दौड़ रही हैं चिंता की बात यह भी है कि इस मार्ग पर चलने वाली मैजिक के अधिकतर चालक नाबालिग हैं और अन्य कई लोगों के पास वाहन चलाने का लाइसेंस तक नहीं है यही हाल भिटरिया से हैदरगढ़ का भी है तमाम लोगों के द्वारा जिला प्रशासन से लेकर शासन तक से बसों की मांग विगत बीसों वर्षों से की जाती रही है कि समस्त परिवाहन की बसे भिटरिया अन्दर होकर जाये , लेकिन लगता है कि अब तक हुक्मरानों के कानों तक इस माँग की गूंज नहीं सुनाई दे सकी है यही हाल अयोध्या।मण्डल भेलसर का भी है यहाँ के व्यस्ततम मवई चैराहे पर डग्गामार ऑटो चालक जनता को किराए के नाम पर लूट रहे हैं चाहे दो किमी की यात्रा हो या फिर चार किराए के नाम पर 10 से 25 रुपये वसूल रहे हैं यात्रियों के विरोध करने पर ये मारपीट करने पर उतारू हो जाते हैं ज्यादातर ऑटो चालकों के पास वाहनों के कागजात तक नहीं हैं और न ही चालकों के पास वाहन चलाने का लाइसेंस ही है ऐसे में इन वाहनों में यात्रा करना खतरे से खाली नहीं है लेकिन मजबूर यात्रियों की मजबूरी देखिए कि मौत से भी समझौता करने को विवश हो रहे हैं हालांकि डग्गामार वाहनों के इस खेल से प्रशासन अनभिज्ञ नहीं है लेकिन चन्द सिक्कों की खनक के शोर से जनता की चीत्कार उन्हें सुनाई जरूर नहीं दे रही हैद्य