निजी लाकाॅलेज की मनमानी वसूली न देने पर काॅलेज ....

 


बाराबंकी। निजी लाकाॅलेज की मनमानी वसूली न देने पर काॅलेज प्रबंधन ने तमाम नियम कानूनों को जो नौनिहालों व वि़द्यार्थियों को शिक्षा का अधिकार प्रदान करते है दरकिनार कर बच्चों को इम्तिहान में बैठने की सजा सुनाते हुए काॅलेज की चाहरदीवारी से ही बाहर का रास्ता दिखा दिया। सबसे बड़ी जो अचरज की बात सामने आई की जिले में न्याय दिलवाने की मोटी पगार ले रहे डीएम व एडीएम भी छा़त्र-छात्राओं के साथ हुई बदसलूकी में दर्शक मात्र रहे और अपने अधिकारों का सही उपयोग करने की किसी ने भी जरा ही कोशिश नहीं की। फिर यह कोई पहला मामला नहीं है जब छात्रों के साथ जबरन वसूली करने वाले धनाढ़य काॅलेज प्रबंधन ने बदसलूकी की कार्यवाही ऐन परीक्षा के समय की हो। लेकिन हमेशा की तरह जिम्मेदारों का तटस्थ रहना एक बार फिर लोकतंत्र की गरिमा और न्याय प्रक्रिया को तारतार कर गया।


शिक्षा विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार चरम पर है। एक तरफ जहां मोदी सरकार से लेकर योगी सरकार तमाम सुधारों की फेहरिस्त दिखाता नजर आता है वहीं वास्तविकाता कहीं इससे उलट है। जिसमें न तो कहीं से फीस मे कोई कमी हुई है और न ही दूसरी तरह से वसूली ही कम हो पाई है। जिसमें सरकार को समाजिक सेवा का हलफनामा देकर व्यापारिक लालची लोग समाजसेवा की भावना दरकिनार कर निजी स्वार्थ व धनउगाही को मिशन बनाकर बड़े बड़े काॅलेज व शिक्षण संस्थान जमीनों पर अवैध कब्जे, सरकारी जमीनों पर सकरारी कर्मचारियों व अधिकारियों से मोटी डीलिंग कर करोड़ों की जमीन मुफ्त में या औनेपौने दामों में कब्जियाकर उसपर पैसे ढ़ालने की टकसाल रूपी मशीनरी जैसी लगा देते हैं। जिसके चलते एक तरफ जहां इनमे पढ़ने वाले बच्चों में नैतिकता समाप्त सी होती जा रही है वहीं बच्चों में समाजिकता का अभाव व स्वार्थ, निजिता, अहंकार व भ्रष्टाचार रूपी दावन जागृत होता जा रहा है। जिसके पीछे मानें तो यही सबकुछ अवैध है जो सरकारी सुरक्षा व देखरेख के बीच पनप रहा है। जिसका खामियाजा आज उस समय कई छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा जब परीक्षा सहित अन्य बातों को लेकर शिक्षण संस्थान ने फीस से इतर एक मोटी रकम की डिमाण्ड इन बच्चों से ऐन परीक्षा के समय नियमविरूद्ध कर डाली और मजा तो देखिए जनबा कि सब कुछ रखने की क्षमता रखने वाला प्रशासन दिखावे में ऐसा सामथ्र्यहीन होने का दिखावा करता दिखा कि जैसे उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर की बात हो। लेकिन जब कुछ अपने धन को बचाने के लिए प्रयास की बात हो तो अभी चुनाव के समय ही बिना जरूरत ही तमाम विद्यालयों के वाहन से लेकर उनकी इमारत तक प्रशासन ने जबरन अपने कब्जे मे ले ली थी। लेकिन यहां अपने धन को बचाने का प्रयास निहित था ना कि देश के नौनिहालों के भविष्य को बचाने का?


उच्चशिक्षा संस्थानों के मनमानी से छात्र-छात्राएं परेशान हैं मनमानी फीस और मोटी रकम लेने के बावजूद छात्रों का उत्पीड़न जारी है। जिला अधिकारी कार्यालय पर बी फार्मा के छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन किया और डीएम से कॉलेज प्रशासन के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। 


मामला सतरिख थाना क्षेत्र के टी.आर.सी महाविधालय का है। जँहा बी.फार्मा दूसरे सेमेस्टर के दर्जनों छात्रो का आरोप है की उनसे फीस के नाम पर कालेज प्रशासन अवैध वसूली की जा रही है और न देने पर शहर से सटे सागर इंजीनियरिंग कालेज स्थित परीक्षा केंद्र से बाहर कर दिया गया। जबकि छात्रों ने अपनी फीस पहले ही जमा कर रखी है और फीस बढ़ा कर वसूलने के आरोप लगा रहे है। छात्रों के प्रदर्शन के दौरान एडीएम संदीप गुप्ता मौके पर पहुंच कर छात्र छात्राओं के सामने कालेज प्रशासन को फोन किया और रुतबे से कहा कि तत्काल इन छात्रों की परीक्षा करवाई जाए। एडीएम के अस्वाशन के बाद छात्र छात्राएं दुबारा परीक्षा केंद्र सागर कालेज जाते है। लेकिन उन्हें अवैध वसूली की रकम न देने पर कालेज से भगा दिया जाता है। और एडीएम के कहने के बावजूद कालेज प्रशासन कोई बात नही सुनता। ऐसे में ये छात्र अपने का भविष्य को लेकर चिंतित है और दुबारा डीएम कार्यालय पर धरना शुरू कर दिया है।